स्वतंत्रता दिवस - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

क़ुर्बानी का प्रतिमान शान स्वतंत्रता दिवस बहु पावन है।
अरमानों का सोपान मान आज़ादी जन मनभावन है।
उन्मुक्त उड़ानें ख़ुशियाँ मन मुस्कान खिला मधु सावन है।
नव कीर्ति शौर्य स्वसैन्य वतन स्वाधीन राष्ट्र यश गायन है।
शत-शत वर्षों के अथक यतन बलिदान विरासत गौरव है।
स्वाधीन राष्ट्र स्वाभिमान शान चहुँमुख विकास सुख सौरभ है।
सबजन समता शिक्षा भाषण अधिकार मूल भारत जन है।
नीति न्याय सुलभता हो सबजन विश्वास आपसी सर्जन है।
पुरुषार्थ सतत सत्पथ परहित उत्थान ज्ञान नव शोधन है।
अभिमान तिरंगा ध्वजा वतन स्वातन्त्र्य राष्ट्र अनुमोदन है।
निर्माण राष्ट्र समतुल्य सुपथ नर नारी अविरत बोधन है।
सम्मान नार्य नवशक्ति रूप अपमान निरत अवरोधन है।
हो सदा समादर धर्म विविध, बहु जाति समन्वित चाहत है।
सद्भाव सहज समरसता मन, सुख शान्ति प्रेम यश भारत है।
सौहार्द्र परस्पर मानवता, संवेदना चित्त जो आहत है।
सार्वभौम राष्ट्र स्वाधीन तभी, जब देश भक्ति मन आरत है।
निर्बाध यतन आबाद वतन आज़ाद हिंद जन भारत है।
गरिमा संस्कृति सभ्यता वतन कला साहित्य विशारद है।
आवाहक दुनियाँ ज्ञानामृत बस लोकतंत्र सम्वाहक है।
जनतंत्र मुदित गणतंत्र वतन अणु दिव्यास्त्रों उद्भावक है।
धर्म जाति निर्भेदित मन स्वाधीन राष्ट्र उद्गायक है।
वारिधि तरंग लहरे तिरंग उन्मुक्त क्षितिज विस्तारक है। 


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