काला पानी - कविता - अनूप अंबर

काला पानी सुनो कथा काला पानी,
आज़ादी के ख़ातिर दे दी अपनी क़ुर्बानी।

नमन आज करते हम उनको,
जिनको लेखनी न लिख पाई।
गुमनाम फाँसी पर झूल गए,
पर पहचान नहीं मिल पाई।
ख़ुद सो गए सदा के लिए मगर,
हमें दे गए सुबह सुहानी।

काला पानी सुनो कथा काला पानी,
आज़ादी के ख़ातिर दे दी अपनी क़ुर्बानी।

सेल्यूलर कारागार पावन है,
जिसे काला पानी कहते थे।
जिसमें आज़ादी के दीवाने,
यातनाएँ अनेकों सहते थे।
नमन आज करते है उनको,
जय हो अमर वीर बलिदानी।

काला पानी सुनो कथा काला पानी,
आज़ादी के ख़ातिर दे दी अपनी क़ुर्बानी।

दीवान सिंह और मौलाना, योगेंद्र वीर सिपाही थे,
बटुकेश्वर दत्त और वीर सावरकर, परमानंद भाई थे।
देश से प्यार कुछ ऐसे किया, कि कर दी नाम जवानी,
बात नहीं ये आज की लोगों, ये बात है बड़ी पुरानी।

काला पानी सुनो कथा काला पानी,
आज़ादी के ख़ातिर दे दी अपनी क़ुर्बानी।

अनूप अम्बर - फ़र्रूख़ाबाद (उत्तर प्रदेश)

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