छाप देते चरण निज जो - कविता - रमेश चन्द्र यादव

छाप देते चरण निज जो,
काल के कपाल पर।
थिरकते है पग जिनके,
ताण्डव की सुरताल पर।
नमन करती लेखनी जो,
लिखते जय भाल पर।
माताएँ गर्व करती सदा,
अपने ऐसे लाल पर।
कठिन हो कितना समर,
हो चाहे पथरीली डगर।
तान छाती सामने जो,
झेल जाते वार है।
कंटकों को चीरते जो,
करते मग पार है।
डगमगाते पग नहीं,
जिनके भूचाल पर।
माताएँ गर्व करती सदा,
अपने ऐसे लाल पर।
सर कटाते देशहित जो,
फाँसियों पर झूलते।
कर्तव्य पथ पर अग्रसर,
निजधर्म नहीं भूलते।
विजयश्री करते वरण,
कठिन कराल काल पर।
माताएँ गर्व करती सदा,
अपने ऐसे लाल पर।

रमेश चन्द्र यादव - चान्दपुर, बिजनौर (उत्तर प्रदेश)

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