आज़ादी - कविता - उस्मान खान

नन्हे मुन्ने बच्चे हैं दाँत हमारे कच्चे हैं,
हम भी लड़ने जाएँगे कट जाएँगे,
मर जाएँगे,
भारत की शान बढ़ाएँगे।

आज़ादी को हमने पाया,
बड़े-बड़े बलिदानों से।
जिसकी रक्षा आज करेंगे,
दे दे कर निज प्राणों से।
भारत माता आज कह रही,
अपने वीर जवानों से।
जीवन निज क़ुर्बान करो तुम,
विजय मिले शैतानों से।

देश की ख़ातिर रोना पड़े,
चाहे मिट्टी में मिलना पड़े,
रक्तदान दो प्राणों से।

अगर लहू की ज़रूरत पड़े तो,
कह दो देश जवानों से।

और अन्न की ज़रूरत पड़े तो
लगा दे अंबार गेहूँ के,
कह दो देश किसानों से।

उस्मान खान - ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)

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