देशभक्त है हम भारत के - कविता - गणपत लाल उदय

हिम्मत व हौसला रखतें है हम भारतीय नौजवान,
इसी का नाम है ज़िन्दगी चलते-रहते वीर जवान।
निराशा की कभी ना सोचते और नहीं खोते आस,
सिर ऊपर पानी बह जाएँ, चलते रहते सीना तान॥

धरा को माता तो पिता को कहते हैं आसमान, 
है राष्ट्र की सेवा प्रथम कर्तव्य, जय जय हिन्दुस्तान।
हालात चाहें कैसे भी हों, दुश्मन को करतें नाकाम,
अपनी परवाह न करके शत्रु को पहुॅंचाते क़ब्रिस्तान॥

सीमाओं पर हम देते है पहरा चाहें हो घोर-अँधेरा,
हमसे है वतन पर चारों ओर सुखी सवेरा।
प्राण से भी प्यारा हमको है यह भारत का तिरंगा,
गर्व करते है जिसपर हम लगातें जय हिन्द-नारा॥

नामुमकिन को मुमकिन करके जो कर देते हैरान,
शीत ग्रीष्म या वर्षा ऋतु में भी घबराते न जवान।
देशभक्त है हम भारत के हॅंसते-हॅंसते दे देते जान, 
हुए है कई स्वतन्त्रता सेनानी जो कहलाए महान॥

राजगुरू सुखदेव आज़ाद व भगत सुभाष है नाम,
तात्या टोपे लाल बाल पाल पिएँ स्वतन्त्रता जाम।
स्वर्ण-अक्षर में लिखा है इतिहास में जिनका नाम,
आज देश का हर नागरिक उनको करता प्रणाम॥


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