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पन्द्रह अगस्त - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
पन्द्रह अगस्त - त्रिभंगी छंद - संजय राजभर 'समित'
मंगलवार, अगस्त 15, 2023
आ जोड़ ले हस्त, पन्द्रह अगस्त,
शुभ दिन अपना, आया है।
स्वतंत्रता का दिन, शहीद अनगिन,
तब जाकर यह, पाया है।
ऑंखें भर आती, याद दिलाती,
कितना पीड़ा, सहते थे।
तलवार की धार, निडर ललकार,
बाँध कफ़न फिर, चलते थे।
जनगण मन दहका, बंधन चटका,
आज़ादी की, सुबह हुई।
पर एक तमाचा, बनकर साँचा,
बॅंटवारे से, सुलह हुई।
भारत बहुरंगा, एक तिरंगा,
थामे सारे, मान करें।
समृद्धि दिन-दूना, रात-चौगुना,
लक्ष्य हमारा, गान करें।
सच्ची ख़ुशहाली, मुख पर लाली,
श्रद्धांजलि में, शीश झुके।
धर्म निरपेक्षता, रहे एकता,
भाई-भाई, रार रुके।
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