संदेश
मंज़िल हमारी कैसे मिलेगी - गीत - प्रशान्त 'अरहत'
पाकिस्तानी क़व्वाल और गीतकार फैज़ अली फैज़ साहब के गीत "दिल-ए-उम्मीद तोड़ा है किसी ने" पर आधारित। अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊ…
बलात्कार - कविता - रमाकान्त चौधरी
दुष्कर्म किसे कहते हैं सब दुराचार क्या होता पापा? नन्ही बिटिया पूछ रही है बलात्कार क्या होता पापा? दुराचार है काम दुष्ट का कोशिश की …
ऐ सावन! - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ सावन! तेरे रूप हैं कितने? कोई कहे तुझे बेदर्दी रे, कोई सजाए मीठे सपने, ऐ सावन! तेरे रूप हैं कितने? ख़्वाबों की ताबीर किसी की पूरी होत…
मित्र - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
मित्र तुम्हारा हृदय सिन्धु है तुम नाविक हो वह पतवार, साथ तुम्हारे रह कर करता भंवर और भवनद को पार। क्षीर-नीर का वही विवेचक यक्ष प्रश्न …
एक आवाज़ दो - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
प्रेम की बाँसुरी होठों से चूम लो, फूँक दो एक स्वर राग भर जाएँगे, बिन तुम्हारे रहे हम अधूरे सदा, एक आवाज़ दो पार कर जाएँगे। बीच में अगिन…
ज़ंजीरों में फिर ना तू बाँध मुझे - कविता - नविन कुमार
मन की व्यथा ने मेरी मति को समझा, समझा उसने मुझे समझाया, डगमग-डगमग पाँव मेरे, इन पग पर अपना पग है बनाया। अब फिर न तू साध इसे, ज़ंजीरों म…
दुर्योधन क्या बाँध पाएगा? - कविता - मयंक द्विवेदी
न बाँध सका जिसे कारागृह, न बाँध सके जिसे नंद अयन, न बाँध सके यशोदा सूत बंधन, न साध सके जिसे कंस भुजबल, दुर्योधन क्या कर पाएगा? प्रत्य…
आर्तनाद - कविता - प्रवीन 'पथिक'
जब भी अतीत को देखता हूँ! एक भयानक यथार्थ; खड़ा हो जाता मेरे समक्ष। बड़ी भुजाऍं, बड़ी-बड़ी ऑंखें, और लपलपाती रक्तिम जिह्वा लिए; घूरा क…
भोर - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
मुर्गे बाँग दे उठे तन कर, होने लगी विदाई तम की। मन्दस्मित मुस्कान उषा की, गगन भेदती झिलमिल चमकी॥ पूर्व दिशा से भुवन भास्कर, धीरे-धीर…
ख़ुद - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
है हमारा क्या जहाँ में इस जहाँ में हम जो ठहरे, हो भला क्यों न ऐसा ख़ुद में हम कम जो ठहरे। ख़ुद से ख़ुद की दूरियाँ हो सकी हैं तय न अबतक, ब…
श्री शिव रुद्राष्टकम् - स्तोत्रम् - उमेश यादव
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं॥ हे ईश ईशान, हे व…
संबल - गीत - सुशील कुमार
नव ज्ञान रश्मि बिखराऊँ, निर्बल को सबल बनाऊँ। जो हार चुके हैं जग में, पथ भूल चुके हैं मग में। उत्साह जगा चिंगारी, अंतस की हर ॲंधियारी। …
जीवन यही है - कविता - सुनील कुमार महला
जब वो ज़िंदा थी, तो घर आँगन महकता था उसकी बातों से बहता था झरना घुलता था शहद आबोहवा में अब उसका सिंहासन छिन गया है दूर जा बैठी है कहीं…
मैं किताब हूँ - कविता - विनय कुमार विनायक
मैं किताब हूँ मुझे पढ़ लो, मैं वेद उपनिषद पुराण हूँ, मैं अतीत हूँ मैं वर्तमान हूँ, मैं भविष्य का सद्ज्ञान हूँ, मैं किताब हूँ मुझे पढ़ …
तुम उठो हिन्द के रणधीरों - कविता - राघवेंद्र सिंह
तुम उठो हिन्द के रणधीरों, रणभेरी का न सुनो राग। सामर्थ्य विजेता बनो स्वयं, क्रोधानल का तुम करो त्याग। यह नहीं हस्तिनापुर, चौसर, न इन्द…
आराध्य प्रभु हे शिव भोले - कविता - गणेश भारद्वाज
आराध्य प्रभु हे शिव भोले, जगती अंबर तुझ में डोले। मेरे मन में वास करो तुम, मेरे सारे पाप हरो तुम। तुम बिन जग में किसको ध्याऊँ, कण-कण म…
हर पल के अन्तराल में तुम हो - कविता - डॉ॰ नेत्रपाल मलिक
अलार्म की आवाज़ दे जाती है हर दिन मुट्ठीभर पल ख़र्चने को घड़ी की सुइयाँ उठा लेती हैं बही-खाता हर पल का हिसाब रखने को भाप बन उड़ जाते हैं …
मौन - कविता - ऊर्मि शर्मा
मौन से अधिक मुखर कौन भला हर-पल बोलता-सुनता भविष्य तय करता मौन कमज़ोर नहीं मौन शक्ति समेटे इशारों में मुखर वक़्त बुनता हुआ दुनियाँ समझें…
बरसे बादल - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
बरसे बादल क्रोध भरे, नश्वरता का बोध भरे। इतना पानी आँखों में, जाने कैसे रोध करे। कुछ तो सावन का असर, उस पे नयन मोद भरे। पार का स…
फूल और हम - कविता - वंदना यादव
हम - पूछ रहे है कलियों से कब ये तुमको खिलना है, बस कुछ पल की देरी है, अब किसी से हमको मिलना है। जल्दी उठो पंखुड़ियाँ खोलो, अब कुछ न त…
लो आ गया सावन - कविता - रमाकान्त चौधरी
लो आ गया सावन, खिल उठे उपवन, चहकी हरियाली। पेड़ों को मिला नवजीवन लो आ गया सावन। आग बरसाते तपते भास्कर, सिर पर तनी धूप की चादर। गर्म हवा…
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