श्री शिव रुद्राष्टकम् - स्तोत्रम् - उमेश यादव

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। 
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं॥ 

हे ईश ईशान, हे विश्वनायक। ब्रह्म वेद रूपी, उद्धार कारक। 
निश्चिंत, निर्गुण,निर्लिप्त, निश्छल। नतमस्तक हूँ हे भक्तवत्सल॥ 

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं। 
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतो हं॥ 
 
निराकार ॐकार आधार स्वामी। शब्द ज्ञान इन्द्रिय से ऊर्ध्वगामी। 
गुणों के सिंधु कृपालु विकराल। भवमुक्ति दाता जै जै महाकाल॥ 

तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं। 
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥ 

गौरांग गंभीर हिमाद्रि शंकर। कोटि कामदेवों से हैं मनोहर। 
भाल चंद्र कल्लोल गंगा की धारा।शिरोधरा शोभित सर्पों की माला॥ 

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं। 
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥ 

कानों में कुंडल भौंहें मनोहर। आशुतोष शंभू दया के सागर। 
चर्मसिंह पट्टा गले मुंडमाला। सर्वेश स्वामी शिव को नमन है॥ 

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्। 
त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजे हं भवानीपतिं भावगम्यं॥ 

उत्कट उत्कृष्ट हे परमेश्वर। अजन्मा अजस्र सर्वेश ईश्वर। 
त्रय शूल मूलक हे शुलपाणि। उमापति को चरण वंदन है॥ 

कलातीत कल्याण कल्पांतकारी। सदासज्जनानन्ददाता पुरारी। 
चिदानन्द संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥ 

कला से परे शिव कल्पांतकारी। त्रिपुरारी शिव सज्जन बिहारी। 
संदोह नष्ट स्नेह आनंदकारी। होवें प्रसन्न चंद्रमौली कामारी॥ 

न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां। 
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥ 

चरण वंदना हे परमेश्वर। सर्वलोक पूजे शिव नारी नर। 
सुख शांति हैं शिव संताप नाशी। आनंदित हो जड़-चेतन वासी॥ 
 
न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतो हं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं। 
जराजन्म दु:खौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्न्मामीश शंभो॥ 

जानू नहीं योग जप नाहीं पूजा। नमन करूँ प्रभु और ना दूजा। 
ज़रा जन्म कष्टों से अब उबारो। रक्षा करो शंभू विनय स्वीकारो॥ 

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये। 
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति॥ 

विप्र कथित इस रुद्राष्टक का, भक्ति भाव से पठन करते जो। 
भगवान शिव प्रसन्न होते है, सारे दुःख और कष्ट हरते वो॥ 

उमेश यादव - हरिद्वार (उत्तराखंड)

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