मौन - कविता - ऊर्मि शर्मा

मौन से अधिक 
मुखर कौन भला
हर-पल बोलता-सुनता
भविष्य तय करता
मौन कमज़ोर नहीं
मौन शक्ति समेटे
इशारों में मुखर
वक़्त बुनता हुआ
दुनियाँ समझें 
मौन डर-सहम
थक हार गया?
मौन विस्फोट है 
चोट खा कर बना
जो पारखी
मौन में ही बुद्धि–
मन-विचार
ज़िंदगी की हक़ीक़त 
बहुत कड़वी सही
कुछ बातें ज़ुबाँ से
बयान नहीं होती
मौन बयान हैं 
मौन शुरुआत है।

ऊर्मि शर्मा - मुंबई (महाराष्ट्र)

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