बलात्कार - कविता - रमाकान्त चौधरी

दुष्कर्म किसे कहते हैं सब दुराचार क्या होता पापा? 
नन्ही बिटिया पूछ रही है बलात्कार क्या होता पापा? 

दुराचार है काम दुष्ट का कोशिश की समझाने की, 
कोमल मन के कठिन प्रश्न का उत्तर उसे बताने की। 
फिर से बिटिया पूछ रही है दुराचार क्या होता पापा? 
नन्ही बिटिया पूछ रही है बलात्कार क्या होता पापा? 

होता पतन है मानवता का अंदर का मानव मर जाता, 
व्यभिचारी बन जाता है वह बुरे काम सब कर जाता। 
फिर से बिटिया पूछ रही है व्यभिचार क्या होता पापा? 
नन्ही बिटिया पूछ रही है बलात्कार क्या होता पापा? 

अत्याचार करे नारी पर नोचे और खसोटे उसको, 
चीख़ पे उसकी आनंदित हो जैसे चाहे लूटे उसको। 
फिर से बिटिया पूछ रही है अत्याचार क्या होता पापा? 
नन्ही बिटिया पूछ रही है बलात्कार क्या होता पापा? 

हो जाता नाश है नैतिकता का सदाचार खो जाता है, 
तब मानवता का निश्चित बिटिया बलात्कार हो जाता है। 
फिर से बिटिया पूछ रही है सदाचार क्या होता पापा? 
नन्ही बिटिया पूछ रही है बलात्कार क्या होता पापा? 

मस्तिष्क हो गया शून्य मेरा अब कैसे उसको समझाऊँ? 
उसके कठिन प्रश्नों का मैं कैसे उत्तर दे पाऊँ? 
बिटिया बोली अब न पूछूँ दुराचार क्या होता पापा? 
कुछ कुछ समझ रही हूँ मैं बलात्कार क्या होता पापा? 

कुछ देर रही वह मुझे देखती उत्तर की प्रतीक्षा में, 
मेरे गले लिपट कर बोली मैं हूँ आप की रक्षा में। 
नहीं जानना मुझको है अत्याचार क्या होता पापा? 
कुछ कुछ समझ रही हूँ मैं बलात्कार क्या होता पापा? 


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