संदेश
गीता सार - कविता - गोकुल कोठारी
धर्म विरुद्ध है नीति जाकी कोई टार सका नहीं विपदा वाकी भूल गया तू एक ही क्षण में किस कारण तू खड़ा है रण में समझ यहाँ तेरा कौन सगा है सब…
मैं हारा हुआ एक भिक्षुक - कविता - राघवेंद्र सिंह
मैं हारा हुआ एक भिक्षुक, काया मेरी अधमरी हुई। मत पूछो मेरा हाल कोई, कितनी करुणा है भरी हुई। न ठौर ठिकाना है कोई, व्याकुलता बढ़ती जाती …
हरि - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
कमल नयन पट, नमन सकल जर, खलल जगत जब, हरि उठ छल धर। तप जप वश कर, बम शिव धर वर, मटक कमर तब, भसम करत खर। क़हर परशुधर, बरसत डटकर, क्षत्र वध …
इंतज़ार - कविता - मदन सिंह फनियाल
झुकी हर डाली फूलों से, कर रही है माली से गुहार। है बेसब्र हर फूल भी, गुंथकर बनने को महकता हार॥ फिर गुनगुनाता हर भँवरा, मँडराया वो भी ब…
कोशिश - कविता - नंदिनी लहेजा
कोशिश करना फ़र्ज़ तेरा, बन्दे तू करता चल। भले लगे समय पर तू, निश्चित पाएगा फल। रख विश्वास स्वयं पर, और ना मान कभी भी हार। कोशिश को रख जा…
धरती का भूषण हैं पौधे - गीत - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
धरती का भूषण हैं पौधे गिरे धरा जीवन बुझते। उड़े पखेरू छोंड़ घोंसला चींचीं चूजे रोते रहते खा गईं चीलें कौवे नोंचें हँसे बहेलिया आग जलाए…
महामहिम द्रोपदी मुर्मू - कविता - गणपत लाल उदय
अपनें अनुभवों और कार्यो से पाया आपने मुक़ाम, शिक्षक समाजसेवी राजनीति में किएँ बहुत काम। अभिनन्दन और अभिवादन है आपका महामहिम, माननीया श…
पंच से पक्षकार - कहानी - अंकुर सिंह
हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे। उम्र के आख़िरी पड़ाव तक दोनों के रिश्ते ठीक-ठाक थे। दोनों ने आपसी सहमति से रामनगर चौराहे वाली …
समझाया हमने कि हम भी जले हैं - गीत - गोकुल कोठारी
सज धज पतंगे कहाँ को चले हैं, समझाया हमने कि हम भी जले हैं। निकला है घर से फिर इक दीवाना, कहता है मुझको मोहब्बत निभाना। अरमाँ ये दिल मे…
हर हर शंकर भोले दानी - चौपाई छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
हर हर शंकर भोले दानी। देवासुर सब कीर्ति बखानी॥ द्वादश ज्योतिर्लिङ्गहि रूपा। त्रिलोकेश्वर रुप अनूपा॥ महादेव भुवनेश्वर लोका। कैलाशी हरते…
प्रेम - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
जिसमें प्रेम को पहचाना है, उसी ने सब कुछ पाया है। जिसने स्वार्थ को किया दर किनारा, उसी ने प्रेम का क़दम बढ़ाया है। उसे तो बिना माँगे स…
रात भर चराग़ों की लौ से वो मचलते हैं - ग़ज़ल - मनजीत भोला
अरकान : फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन तक़ती : 212 1222 212 1222 रात भर चराग़ों की लौ से वो मचलते हैं, नींद क्यों नहीं आती करवटें बद…
सावन की बौछार - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
सावन की बौछार यार तन-मन को भिगाती है, मस्त फुहारें इस सावन की याद किसी की दिलाती है। सावन के झूले अब तो हर ओर निहारा करतें हैं, कोई तो…
प्रेम सरोकार - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
मैं नंद गाँव का ग्वाला हूँ, तू बरसाने की राग प्रिये। मैं पुण्य भूमि का सरोवर हूँ, तू पुष्कर रूपी प्रेम प्रिये। मैं चलता हूँ जब आतप में…
बैरी सावन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हाय रे आया बैरी सावन, आवन कह गए आए न साजन। रहती हूँ मैं खोई-खोई, रोग लगा है जैसे कोई। कब से न मैं तो चैन से सोई। सुनी है सेजिया सूना आ…
तेरी आँचल में - कविता - प्रवीन 'पथिक'
चले यूँ दोनो कदम साथ-साथ, मंजिल की तलाश में। जीवन से हँसते बतियाते, डूबे स्वप्नलोक में। प्रेम में मत्त। सांसारिक गतिविधियों से विरत, ए…
सावन आया - कविता - गणेश भारद्वाज
सावन आया बादल छाए डालों पे झूले फूलों के, नटखट सखियाँ खेल रही हैं सब झूल रहीं हैं झूलों पे। तरह-तरह के फूल खिले हैं वन-उपवन में हरयाली…
गुरुगान - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'
गुरू देता सत्य का ज्ञान जिससे संकट दूर हो जाता है सारा। सूर्य सा तेजस्वी स्वरुप ले गुरु ने सबका जीवन सँवारा। अज्ञानता के घोर तम से गुर…
जब भी जुगनू रोशनी में आएँगे - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 2122 212 जब भी जुगनू रोशनी में आएँगे, वो नज़र फिर सादगी में आएँगे। जब अँधेरा पास उनके आ…
सत्य - कविता - ईशांत त्रिपाठी
सत्य को संतृप्त करता सत्य का नमस्कार है। सत्य जिनसे पुष्ट है वह सत्य का उपकार है। सत्य का जो मार्ग दृश्य नित्य नानाकार है। सत्य से संक…
बात में भी जान हो - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलुन तक़ती : 2122 212 बात में भी जान हो, रास्ता आसान हो। बाग़ ने अब ये कहा, कोकिला की तान हो। बुद्धि मानो है प्रखर,…
नशे की मार - गीत - उमेश यादव
समाज रो रहा है, परिवार रो रहा है। नशे के भार को ये, संसार ढो रहा है॥ ये क्या हो रहा है देखो, क्या हो रहा है। नशे की मार से ये, संसार र…
धन्यवाद आभार, करूँ अभिवादन - गीत - डॉ॰ आदेश कुमार पंकज
करते सभी यक़ीन, झूठ पर नित दिन। देता नित्य सबूत, सत्य है छिन-छिन॥ अंधकार से हार, उजाला रोता। अंधा ये क़ानून, बोझ है ढोता॥ नागफनी का दंश,…
जब भी मैं तुम्हें याद करती हूँ - कविता - शालिनी तिवारी
तुम्हें पता हैं जब भी मैं तुम्हें याद करती हूँ, तो ऐसे ही तुम्हें ख़त लिखने लगती हूँ। और साथ ही ख़ुद से यह वादा भी करती हूँ कि हमेशा इन …
फ़नकारी है जीवन जीने की - कविता - अनिल कुमार
एक उदासी भरे पल को हँसते हूए चेहरे से कह देना एक कला है जीवन जीने की एक पीड़ा उत्पीड़ित क्षण को मुस्कान के पीछे छिपा लेना एक कौशल है …
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