प्रवीन 'पथिक' - बलिया (उत्तर प्रदेश)
तेरी आँचल में - कविता - प्रवीन 'पथिक'
बुधवार, जुलाई 20, 2022
चले यूँ दोनो कदम साथ-साथ,
मंजिल की तलाश में।
जीवन से हँसते बतियाते,
डूबे स्वप्नलोक में।
प्रेम में मत्त।
सांसारिक गतिविधियों से विरत,
एक दूसरे का हाथ थामे;
और गुनगुनाते प्रेम संगीत को।
आशा जगी!
पाने को अँधेरी गलियों में।
आँखों में,
चाहत की दबी थी वासना।
डूबे थे भावों औ विचारों के दलदल में।
मिले तुम उसी क्षण हमको।
प्रेम का प्याला लिए,
दो घूँट पीने के बाद,
एहसास हुआ ऐसे,
जैसे वर्षों से थका हारा;
पाया मैंने,
विश्राम तेरी आँचल में।।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर