अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122 2122 212
जब भी जुगनू रोशनी में आएँगे,
वो नज़र फिर सादगी में आएँगे।
जब अँधेरा पास उनके आएगा,
लौट वापस रागनी में आएँगे।
लोग दीवाने हुए जो प्यार में,
ज़द में सारे आशिक़ी में आएँगे।
हो भले अंदाज़ उनका बेसुरा,
गीत सारे शायरी में आएँगे।
मर मिटेंगे प्यार के व्यापार में,
वाक़ये दीवानगी में आएँगे।
महफ़िलों की रौनकें जब घट गईं,
लौट वापस तीरगी में आएँगे।
आसमाँ में तो ठिकाना है नहीं,
उड़ते पक्षी फिर ज़मीं में आएँगे।
जो मिला उसमें सबर कर लीजिए,
फिर उजाले ज़िन्दगी में आएँगे।
नागेंद्र नाथ गुप्ता - मुंबई (महाराष्ट्र)