अरकान : फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
तक़ती : 2122 212
बात में भी जान हो,
रास्ता आसान हो।
बाग़ ने अब ये कहा,
कोकिला की तान हो।
बुद्धि मानो है प्रखर,
झोपड़ी में ज्ञान हो।
हादसा तो हो गया,
अश्रु का सम्मान हो।
जी रहे हैं हम अगर,
ख़ुद पे भी अभिमान हो।
अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)