बैरी सावन - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला

हाय रे आया बैरी सावन,
आवन कह गए आए न साजन।

रहती हूँ मैं खोई-खोई,
रोग लगा है जैसे कोई।
कब से न मैं तो चैन से सोई।

सुनी है सेजिया सूना आँगन,
हाय रे आया बैरी सावन।
आवन कह गए आए न साजन।

नागिन जैसी डसती रतियाँ,
वो बालम  की मीठी बतियाँ।
दिल जलता है रोए अँखियाँ।

कजरा घुलता जाए  प्रीतम,
हाय रे आया बैरी सावन।
आवन कह गए आए न साजन।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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