हाय रे आया बैरी सावन,
आवन कह गए आए न साजन।
रहती हूँ मैं खोई-खोई,
रोग लगा है जैसे कोई।
कब से न मैं तो चैन से सोई।
सुनी है सेजिया सूना आँगन,
हाय रे आया बैरी सावन।
आवन कह गए आए न साजन।
नागिन जैसी डसती रतियाँ,
वो बालम की मीठी बतियाँ।
दिल जलता है रोए अँखियाँ।
कजरा घुलता जाए प्रीतम,
हाय रे आया बैरी सावन।
आवन कह गए आए न साजन।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)