फ़नकारी है जीवन जीने की - कविता - अनिल कुमार

एक उदासी भरे पल को 
हँसते हूए चेहरे से कह देना
एक कला है जीवन जीने की
एक पीड़ा उत्पीड़ित क्षण को
मुस्कान के पीछे छिपा लेना
एक कौशल है जीवन जीने का
ग़म की दुर्गम कटू बेला को
मन की गहराई में दबा देना
एक हुनर है जीवन जीने का
दुख के आँसू भरे पहर को
अभिनय कला से भरमाना
एक नाटक है जीवन जीने का
भीषण कठिन काल समय को
बातों के गुलछर्रों में उड़ाना
एक फ़न है जीवन जीने का
व्यथा भरी घनघोर घड़ी को
ख़ुशी-ख़ुशी जी जाना
एक शिल्प है जीवन जीने का
खट्टी-मीठी, गिरती-उठती
मिश्रित दुख-सुख, ग़म-ख़ुशी
गतिमान जीवनपथ की गति
जिसने सीख लिया अभिनय
वह फ़नकारी है जीवन जीने की।

अनिल कुमार - बून्दी (राजस्थान)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos