महामहिम द्रोपदी मुर्मू - कविता - गणपत लाल उदय

अपनें अनुभवों और कार्यो से पाया आपने मुक़ाम,
शिक्षक समाजसेवी राजनीति में किएँ बहुत काम।
अभिनन्दन और अभिवादन है‌ आपका महामहिम,
माननीया श्रीमती द्रोपदी मुर्मू है जिनका यह नाम।।

एक बार फिर से रच दिया है आपने ऐसा इतिहास, 
महिलाओं का मान बढ़ाया जिसका है यें उल्लास।
१५ वें राष्ट्रपति के रुप में आप निर्वाचित ‌हुएँ आज,
सुनहरे पन्नों में लिखें जाएँगे आपके कार्य विकास।।

कई देखें है कष्ट आपने एवं देखें कई उतार-चढ़ाव,
पाया तेज़ दिमाग़ आपने इंसानियत का रखें भाव।
जवाबदारियाँ समझकर आपने दिया सबका साथ,
एक के बाद दूसरी परेशानी फिर भी धोया है घाव।।

नहीं हारते है कभी ऐसे हिम्मत हौसला रखनें वालें,
या तों वह जीत जातें है‌ अथवा फिर सीख लेते है।
जवाबदारियाँ उठाने को फिर भी वें तैयारी में रहते, 
है कई उदाहरण ऐसे जो परेशानियाँ खदेड़ देते है।‌।

राष्ट्रपति का पद ग्रहण कर किये संविधान सम्मान,  
सारे संसार में महिलाओं का फिर से बढ़ाया मान।
पूर्व में मन्त्री और झारखंड राज्यपाल भी रहें आप,
आदिवासी होकर भी आप वतन की बनी है शान।।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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