जब भी मैं तुम्हें याद करती हूँ - कविता - शालिनी तिवारी

तुम्हें पता हैं जब भी मैं तुम्हें याद करती हूँ,
तो ऐसे ही तुम्हें ख़त लिखने लगती हूँ।

और साथ ही ख़ुद से यह वादा भी करती हूँ कि
हमेशा इन ख़तों में तुम्हारे लिए
थोड़ा-थोड़ा प्रेम बचाते चलूँगी,
ताकि जब भी तुम मेरा यह ख़त पढ़ो
तो साथ ही पढ़ो मेरा प्रेम भी।
तुम भी एक वादा करो मुझसे
जब भी दोबारा मिलोगे तो ऐसे मिलोगे
जैसे एक नदी मिल जाती है महासागर से,
जो बिछड़ते नहीं प्रलय आने पर भी।

तुम्हारा मेरी जीवन में आना
किसी चमत्कार से कम नहीं,
तो वादा करो इस चमत्कार को
कभी अभिशाप बनने नहीं दोगे।

और मैं भी तुमसे वादा करती हूँ कि
मैं तुमसे प्रेम करती हूँ और करती रहूँगी,
फिर चाहे समाज के लिए मेरा प्रेम
कोई त्रासदी क्यों न बन जाए।

शालिनी तिवारी - अहमदनगर (महाराष्ट्र)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos