संदेश
अभी बाक़ी है - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
तू मुझमें अभी बाक़ी है, तू मुझमें कहीं बाक़ी है। ये तेरा ही तो साया है , ये अब भी मेरा साथी है। ये तेरा ही तो जलवा है, ये मुझमें कायम रह…
कहीं कल अगर वो मिलेंगे - ग़ज़ल - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
अरकान : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़ती : 122 122 122 कहीं कल अगर वो मिलेंगे, न इनकार उनकी सुनेंगे। मुहब्बत हमारी पुरानी, बयाँ हम कहानी करें…
शशिधर बम बम - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
तिलक विजय सज गंग लट जट सट। हर हर सब पर बम बम बम बम॥ कंठ पर विषधर विष पिय जमकर। बम बम बम बम हर हर बम बम॥ सरपट करतल अपपठ फट कर। उग्र भव…
उड़ान - कविता - अनिकेत सागर
परिंदों सा उड़ना जब सीख लेगा तू, धरती से अंबर तक तेरा नाम होगा। टूटी शमशीरों से लड़ना सीखेगा तो, हर शख़्स तुझे करता सलाम होगा। राहों मे…
खिड़की से आने लगी हवा - कविता - अशोक बाबू माहौर
खिड़की से आने लगी हवा थोड़ी-थोड़ी लहराने लगे कुछ कपड़े जो टँगे थे उदास खूँटी पर कल परसों से। झूमने लगे स्तंभ से तने पेड़-पौधे जैसे मिल…
एक क़दम अध्यात्म की ओर - लेख - लक्ष्मी सिंह
'अध्यात्म' एक ऐसा वाक्य जिसे सुनने मात्र से ही शान्ति पहुँचने लगती है हमारे हृदय को, अब सोचने वाली बात ये है कि जिसे सुनने से …
मैं रहूँ न रहूँ याद रखना मुझे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मैं रहूँ न रहूँ याद रखना मुझे, दिली ख़्वाबों में रख जिआ हूँ तुझे। माना शरारत किया है जो तुमसे, दिलों जान शबनम हूँ चाहा तुझे। बेइन्त…
दोस्ती - कविता - साधना साह
कुछ कहने की आरज़ू तुम्हारी कुछ सुनने की कशिश मेरी चलो न कहीं दूर तक चलते हैं। न तुम इक़रार-ए-वादा करो न मैं उम्मीदें ख़्वाहिश रखूँ चलो न…
चरित्रहीन - कविता - अनुष्का द्विवेदी
पंद्रह साल की लड़की हाथो पर मेहँदी से प्रेमी का नाम सजा रही है और शर्माकर हाथों को छुपा रही है। चुपके से आईना के सामने छोटी टिकुली लग…
पच्चीस हज़ार का जूस - कहानी - अनुराग उपाध्याय
ग़ुस्सैल सूरज, गरम हवाएँ, आग बरसाती धरती और नेताओं के दिमाग़ की तरह बेहोश हुआ पंखा, आते जाते आदमियों के हाथ से फ़ाइल लेना और फिर उन्हें ट…
प्रेम - कविता - डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन'
तेरी अनुपस्थिति ही प्रेम का एहसास कराती है पल भर का मिलन फिर बिझड़न उस पल में मेरी तड़पन तेरी यादों ने फिर जोड़ा मेरे टूटे वीणा के त…
मैं बेख़ौफ़ उड़ानों का शौक़ रखता हूँ - कविता - राकेश कुशवाहा राही
मैं बेख़ौफ़ उड़ानों का शौक़ रखता हूँ, पंख नहीं हौसलों की रफ़्तार रखता हूँ, मंज़िलों पर पल दो पल बसेरा है मेरा, नित नई मंज़िलों की तलाश करता …
दहेज का पालतूपन - कविता - सत्यव्रत रजक
लड़के का बाप ब्याह से छः माह पहले देखता है, दिखाता है पूछता है– और क्या कम रहा दहेज में? कुछ कमी रही तो लिख लिया काग़ज़ पर! भोर होते ही…
पधारें आँगन राजा इन्द्रराज - कविता - गणपत लाल उदय
पधारें हमारे आँगन राजा-इन्द्रराज, सुस्वागतम् आपका यहाँ महाराज। आएँ जो आप छाई यह ख़ुशहाली, अब पूर्ण होंगे सभी के सारे काज॥ चहक रहीं चिड़…
पुत्र का संदेश - गीत - अभिनव मिश्र 'अदम्य'
ओ चतुर कागा! हमारे गाँव जाना। पुत्र का संदेश उस माँ को सुनाना। मातु से कहना कि उसका सुत कुशल है, याद वो करता उन्हें हर एक पल है। छोड़ द…
प्रेम सन्देश - कविता - बृज उमराव
सोच धनात्मक सब पर भारी, केवल लक्ष्य दिखाई दे। उद्देश्य सदा से एक हो अपना, सफलता शब्द सुनाई दे।। प्रतिद्वन्दी जब कर सकता है, हम क्यों प…
प्रेम प्रसंग - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
मैं शीत संवर का प्रेमी हूँ तू आतप मुझे समझता है मैं सीधा साधा परवाना हूँ तू छलिया मुझको कहता है। मैं चलता हूँ जिन राहों में शांति अंलक…
बहुत याद आते हैं - कविता - जयप्रकाश 'जय बाबू'
वो काग़ज़ के नाव वो अमरा के छाँव वो अखाड़े का दाँव वो जाड़े का अलाव बहुत याद आते हैं। वो गिल्ली औ डंडे वो लहराते सरकंडे वो डुगडुगी का ए…
शांति स्वरूप - कविता - शालिनी तिवारी
वो शांत स्वरूप जहाँ मन को आराम मिले और विचारों को विराम जहाँ नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो और सकारात्मक ऊर्जा की शुरुआत हो जहाँ जीवन एकांकी …
पंख को आसमाँ चाहिए - ग़ज़ल - अविनाश ब्यौहार
अरकान: फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती: 212 212 212 पंख को आसमाँ चाहिए, ज़िंदगी को जहाँ चाहिए। धूप निकली हुई है यहाँ, औ उसे आस्ताँ चाहिए। द…
सजन स्वप्न में आए थे - गीत - संजय राजभर 'समित'
धीरे-धीरे नहा उठी थी, जब अहसास कराए थे। सखी रात की बात बताऊँ, सजन स्वप्न में आए थे। जब ज़ुल्फ़ों को सहलाकर वो, खींच बाँहों में भर लिए। …
कान - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
कानों से सुन-सुन कर प्रवचन, हम कई सपने गड़ते है। कानों से बहकावे में, हम एक दूजे पर, दोष मढते है। कानों के भरने पर, भाई भाई में होता …
नीली साइकिल वाली लड़की - कविता - रमाकान्त चौधरी
सुघर सलोनी साँवली सूरत, सुंदर मुखड़े वाली लड़की। सीधी सच्ची नाज़ुक पतली प्यारी भोली भाली लड़की। यूँ तो उसकी सारी सखियाँ सब की सब सुंदर…
समय - कविता - रेखा टिटोरिया
मत ओढ़ उदासियों को कर ख़त्म सिसकियों को। जो हो गया हो जाने दे चल उठ आगे बढ़ ज़िंदगी को जी ले। ये समय है पगले क्यों फ़िक्र करता है ये आज…
इंतज़ार एक तपस्या है - कविता - विनय विश्वा
वो दिन मेरे सपनों के ज़िंदा होने का दिन था इंतज़ार की घड़ियाँ कितनी लम्बी होती हैं एक तपस्या की तरह अगर उस तपस्या में तप गए तो इंतज़ार की …
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