अरकान: फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
तक़ती: 212 212 212
पंख को आसमाँ चाहिए,
ज़िंदगी को जहाँ चाहिए।
धूप निकली हुई है यहाँ,
औ उसे आस्ताँ चाहिए।
दीप जलने लगे हैं अगर,
पर्व को है अमाँ चाहिए।
आसमाँ छत हुई है जहाँ,
उस बशर को मकाँ चाहिए।
रास्ते में अकेले चले,
और अब कारवाँ चाहिए।
अविनाश ब्यौहार - जबलपुर (मध्य प्रदेश)