विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)
इंतज़ार एक तपस्या है - कविता - विनय विश्वा
शुक्रवार, जुलाई 01, 2022
वो दिन मेरे सपनों के
ज़िंदा होने का दिन था
इंतज़ार की घड़ियाँ
कितनी लम्बी होती हैं
एक तपस्या की तरह
अगर उस तपस्या में
तप गए तो
इंतज़ार की घड़ियाँ
सफल हो जाती है।
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