दहेज का पालतूपन - कविता - सत्यव्रत रजक

लड़के का बाप 
ब्याह से छः माह पहले
देखता है, दिखाता है
पूछता है–
और क्या कम रहा दहेज में?
कुछ कमी रही तो
लिख लिया काग़ज़ पर!
भोर होते ही
चार छः के साथ
पालतू कुत्ते सी दुम हिलाते
लड़की के बाप के सामने 
रख देते यह संधि पत्र
कुछ ऐंठते हुए से,
और देह से काँपता हुआ 
लड़की का पिता फिर
छाप देता है काग़ज़ पर अँगूठा!
इस तरह तैयार होता 
यह व्यापार अनूठा!

सत्यव्रत रजक - निवाड़ी (मध्यप्रदेश)

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