मैं रहूँ न रहूँ याद रखना मुझे - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

मैं रहूँ न रहूँ याद रखना मुझे, 
दिली ख़्वाबों में रख जिआ हूँ तुझे। 
माना शरारत किया है जो तुमसे, 
दिलों जान शबनम हूँ चाहा तुझे। 

बेइन्तहाँ मोहब्बत लुटाया हूँ तुझ पे, 
हमदम की चाहत गुनगुनाए तराने। 
इबादत-ए-इश्क़ी कुदरत-ए-क़यामत, 
क्या दिल्लगी को गुनाह समझी तुमने। 

मासूम दिल में आग लगाई है तुमने, 
हर पल जला मैं तेरी बफ़ाई के ग़म में। 
ज़ुल्मों सितम ढा ख़ूबसूरत ए मोहब्बत, 
घायल हुआ दिल हुश्न गुलशन तुझी से। 

तेरे ज़ुल्फ़ों में खोया अहमीयत स्वयं के, 
गुलफ़ाम मुस्कान  बन दिखाई नज़ारे। 
सजाई थी तुमने बना दिल सितारा, 
बाँधी समाँ इश्क़ गुलबदन दिल पे तुमने। 

लगाई लगन बन योगन प्यारी निराली, 
चुराई बावली दिल मेरी नींद-ए-नशीली। 
कजरी नैन चंचल नटखट बोली सुरीली, 
जन्नत-ए-वफ़ाई मंज़िलें दग़ा दी है तुमने। 

क़यामत से क़यामत समझो बलम तू, 
लम्हें बिताए हर दिल ख़ूबसूरत नगीने। 
फिर भी दुआ है प्रभु ख़ुशियों से भर दे, 
मैं रहूँ न रहूँ, मिले पल याद कर लेना मुझे। 


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