तेरी अनुपस्थिति ही
प्रेम का एहसास कराती है
पल भर का मिलन
फिर बिझड़न
उस पल में मेरी तड़पन
तेरी यादों ने फिर जोड़ा
मेरे टूटे वीणा के तार
हलचल जो शांत हुई थी
मेरे जीवन के ठहरे जल में
तेरी यादों के कंकड़ ने
उसमें मचा दी फिर हलचल।
डॉ॰ रोहित श्रीवास्तव 'सृजन' - जौनपुर (उत्तर प्रदेश)