संदेश
प्रकृति - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
प्रकृति की भी अजब माया है निःस्वार्थ बाँटती है भेद नहीं करती है, बस कभी कभी हमारी उदंडता पर क्रोधित हो जाती है। हर जीव जंतु पशु पक्षी…
सेवा करो आदमी की - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
एक अजीबो गरीब वाकया है कि कई लोग आँखों के होते हुए भी अन्धे बनते है विवेक के होते हुए लोग चेतना शून्य है जीवन के होते हुए भ…
कब तक ज़ुल्म सहेगी बेटी - कविता - आशाराम मीणा
पूछ रही हैं घर की बाला, बापू एक उलाहना है। मिटे अंधेरा जग का सारा, ऐसा दीप जलाना है।। बेटा बेटी समकोटीय, सबको यह बतलाना है। मरे खोख मे…
चक्कर में - कविता - विनय विश्वा
क्यों पड़े हो चक्कर में सब अपने है चक्कर में कोई नहीं है टक्कर में सब बदते है खद्दर में। कोई कहता इसको डालो कोई कहता उसको सब सत्ता का …
हुप्पा का राज - कहानी - शिवम् यादव "हरफनमौला"
"हुप्पा" नाम सुनने में तो अजीब सा महसूस हो रहा है, परन्तु ये नाम ऐसा वैसा नहीं है। ये नाम एक आज के चर्चित खेलों में से एक लो…
आनंद सुरभि यश गायन हो - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
ओंकार शान्ति मन भावन हो , परमेश भजन नित सावन हो, अभिलाष हृदय सेवन भारत, आनन्द सुरभि यश गायन हो। परमार्थ निकेतन जीवन हो, अरु…
नहीं भैये - ग़ज़ल - महेश कटारे "सुगम"
ये गजल वो ग़ज़ल नहीं भैये जिस्म सूरत शकल नहीं भैये बात महबूब की नहीं इसमें कल्पना की फसल नहीं भैये इसके शेरों की तख्तियां मत कर इसमें उर…
औपचारिकता - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
नवरात्रों में माँ का दरबार सजेगा, माँ के नवरूपों की पूजा होगी, धूप दीप आरती होगी हर ओर नया उल्लास होगा। चारों ओर माँ के जयकारे गूँजेंग…
हे नारी तू कितनी महान - कविता - अनिल भूषण मिश्र
हे नारी तू कितनी महान नहीं जग में कोई तेरे समान धर्म, दया, लज्जा का पालन करती सबके तन मन का दुःख हरती सदा प्रेम का है करती दान हे नारी…
फौजी का निर्णय - कहानी - सतीश श्रीवास्तव
देश की सेना में सेवा करना सचमुच ही एक अद्भुत अनुभूति देता है, अपना तन-मन राष्ट्र के लिए होता है समर्पित और यह समर्पण का भाव देता है उन…
कर्मवीर बनो - कविता - मधुस्मिता सेनापति
विधाता को क्यों कोसना जब कर्म पर हैं भरोसा विधाता ने सर्वांग सही सलामत दिए तो भाग्य पर क्यों रखते हो आशा ...? बिना कर्म किए भाग्य को क…
गम उसका नहीं था - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
सुबह नींद देर से खुली गम उसका नहीं था रात को देर से सोया गम उसका भी नहीं था। वह कल मिला था अपने बरामदे मे चारपाई पे बैठा मन ही मन कुछ …
एक दोस्ती ऐसी भी - लघुकथा - श्रवण कुमार पंडित
पंद्रह वर्ष की रानी अपने मोबाइल पर बहुत व्यस्त रहा करती थी। एक दिन घर में उसकी बड़ी दीदी और पड़ोसी आपस में लड़ने लगे इस बात की भनक तक उसे…
सच्चे सपूत - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
भारत माँ के सच्चे सपूत अब्दुल पाकिर कलाम। उनको मेरा शत शत प्रणाम शत शत सलाम। वह थे पक्के कर्तव्य निष्ठ वह भारत माँ के अमर रत्न। …
सलाम मिसाइल मैन अब्दुल कलाम - कविता - सुनीता रानी राठौर
समर्पित चंद पंक्तियां उस महान आत्मा को फैलाए प्रकाश जो दिव्यज्योत बन जग में। सलाम मिसाइल मैन अब्दुल कलाम, स्वैच्छिक कार्य वैज्ञानिक …
मुस्कान - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जठरानल में अन्न हो, होठों पर मुस्कान। सबके तन पर हो वसन, सबके पास मकान।।१।। धन वैभव सुख इज्जतें, सबको सदा नसीब। सभी बने शिक्षित सबल, स…
अदला बदली - कविता - डॉ. अवधेश कुमार अवध
सुबह जगाने आता सूरज, शाम सुलाने आता चंदा। गर अदला-बदली हो जाए, झूम - झूमकर गाए बंदा।। पता नहीं सूरज को निश दिन, इतनी सुबह जगाता …
जब जागो तभी सवेरा - गीत - संजय राजभर "समित"
ज्ञान चक्षु ने भ्रम उधेरा। जब जागो तभी सवेरा।। आच्छादित थे घन कुहरे दिशाहीन थे भव लहरे, अब लहरों पर है डेरा। जब जागो तभी सवेरा।। उम…
मैं अबला नहीं - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
अब वह समय नहीं रहा अब मैं अबला नहीं सबला हो गई हूँ। वो समय गुजर गया जब मैं छुईमुई सी हर बात में घबरा जाती थी, डर जाती थी, आज मेरे हौ…
कान्हा से पुकार - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
मोह माया, स्वार्थ छल। नही है, अब कोई हल।। दिल देता बधाई, बारम्बार। हो खुशियों भरा, त्यौहार।। पर आशाएं, हैं भरी पड़ी। कान्हा दो, खुशियाँ…
आज का दौर - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
आज के दौर की बातें कर लें जुबा कुछ कहती कुछ दिल नें छुपाई है किसी की टोपी किसी के सर, किसी और ने पहनाई है, किसी का प्यार, किसी की पसन…
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