सलाम मिसाइल मैन अब्दुल कलाम - कविता - सुनीता रानी राठौर

समर्पित चंद पंक्तियां उस महान आत्मा को 
फैलाए प्रकाश जो दिव्यज्योत बन जग में।

सलाम मिसाइल मैन अब्दुल कलाम, 
स्वैच्छिक कार्य वैज्ञानिक अनुसंधान।
 
फर्श से अर्श तक पहुंचे जो संघर्ष कर,
हो गये आप भारत रत्न से सम्मानित।

उत्कृष्ट कार्य से राष्ट्रपति पद सुशोभित, 
गरीबी से लड़ काबिलियत की साबित।

मिसाइल तकनीक रक्षाप्रणाली कर्मक्षेत्र
कर दिया इसमें आपने विद्वत्ता साबित।
 
रहेंगे करोड़ों गरीब बच्चों के प्रेरणास्रोत,
कुछ कर गुजरने की तमन्ना से ओतप्रोत। 

अखबार बेच पढ़ाई करने वाला बालक,
अपनी बौद्धिकता से हुआ विश्वविख्यात। 

दिया देश को मिसाइल मैन बन मिशाल,
साधारण कद काठी का गुदरी का लाल।
 
सत्कर्म से सभी के दिल में कर रहे राज,
भलेमानस सादगी संपन्न व्यक्तित्व खास।

न पद का अहंकार न हीं उन्हें कोई गुरूर,
विनम्रता के परिचायक एक अद्भुत रूप।

आम लोगों के राष्ट्रपति थे अब्दुल कलाम,
दिया जिन्होंने सबको संदेश 'देश के नाम'।

सपना उनका करोड़ों कलाम बने देश में,
सपना, भ्रष्टाचार मुक्त हो भारत अपना।
 
सपना सच हो इसलिए देखो तुम सपना,
देखो आसमां की तरफ तुम सर उठाकर।
 
हम अकेले नहीं पूरा ब्रह्मांड है मेरे साथ,
उन्हीं को देता जो देखे सपना सर्वोत्तम।
 
करो मेहनत युवाओं को दिये वो संदेश,
रखो अलग तरीके से सोचने की क्षमता।

समस्याओं पर विजय पाने का साहस,
सफलता पाने का अटूट अद्म्य साहस।

दिखा दो  अविष्कार करने की प्रतिभा,
रखो अनजान सफर पे चलने का साहस।

हमारा सलाम सच्चे सपूत कलाम को,
मानवता के सर्वोत्तम गुणों के खान को।
    
धरती पुत्र जिनका कर्म क्षेत्र था विज्ञान, 
देशवासी नतमस्तक करें आपको सलाम।

सुनीता रानी राठौर - ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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