आनन्द कुमार "आनन्दम्" - कुशहर, शिवहर (बिहार)
गम उसका नहीं था - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
शनिवार, अक्टूबर 17, 2020
सुबह नींद देर से खुली
गम उसका नहीं था
रात को देर से सोया
गम उसका भी नहीं था।
वह कल मिला था
अपने बरामदे मे चारपाई पे बैठा
मन ही मन कुछ बुदबुदा रहा था
मैने उससे पूछा-बात क्या है? मुझे बताओ!
बड़े विस्मय से उसने देखा मुझे
और कहाँ कुछ भी तो नहीं सब ठीक हैं।
अगली सुबह मैने जो देखा
आँखो मे अस्क लिए रोता ही रहा
आज फिर सुबह नींद देर से खुली
परन्तु रातें कसमकस में गुजरती रही।
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