सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)
औपचारिकता - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
शनिवार, अक्तूबर 17, 2020
नवरात्रों में
माँ का दरबार सजेगा,
माँ के नवरूपों की पूजा होगी,
धूप दीप आरती होगी
हर ओर नया उल्लास होगा।
चारों ओर माँ के जयकारे गूँजेंगे
माँ की चौकियां सजेंगी
जागरण भी होंगे,
माँ को मनाने के सबके
अपने अपने भाव होंगे।
मगर इन सबके बीच भी
बेटियों पर अत्याचार होंगें
उनकी अस्मत लूटी जायेगी
उनकी लाचारी की कहानी
फिर हमें धिक्कारेगी।
हम फिर मोमबत्तियां जलायेंगे
संवेदना के भाव दर्शाएंगे,
पर कुछ करने का भाव
दृढ़ प्रतिज्ञ होकर नहीं दिखायेंगे।
नवरात्रों में बेटियों को पूजेंगे,
चरण पखारेंगे,माथे लगाएंगे,
टीका करेंगे, माला पहनाएंगे
आशीर्वाद की लालसा में
झोलियाँ फैलाएंगे,
अगले वर्ष का आमंत्रण भी
आज ही पकड़ायेंगे।
देवी माँ खूब रिझायेंगे
मगर ये सब करके भी हम
बेटी बहन की सुरक्षा, स्वाभिमान का
बस!संकल्प नहीं कर पायेंगे,
देवी माँ का पूजन करने की
हर बार की तरह इस बार भी
मात्र औपचारिकता निभायेंगे।
आपनी तसल्ली के लिए बस
देवी माँ के चरणों में हाजिरी लगायेंगे
जय माता दी जय माता दी को
शोर बस गुँजाएंगे।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर