संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
जब जागो तभी सवेरा - गीत - संजय राजभर "समित"
शुक्रवार, अक्टूबर 16, 2020
ज्ञान चक्षु ने भ्रम उधेरा।
जब जागो तभी सवेरा।।
आच्छादित थे घन कुहरे
दिशाहीन थे भव लहरे,
अब लहरों पर है डेरा।
जब जागो तभी सवेरा।।
उम्र कोई बात नही है
चेतन में रात नही है,
राज पटल पर उकेरा ।
जब जागो तभी सवेरा।।
सीख झाँक कर अतीत में
आगे सफर कर प्रीत में,
अनुभव है एक चितेरा,
जब जागो तभी सवेरा।
लोभ मोह में क्षोभ भरा
अवगुंठन में रार भरा,
संतोष में है बसेरा
जब जागो तभी सवेरा।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर