संदेश
फँस मयंक नवप्रीति में - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
खिले जगत् नित चन्द्रिका, पूनम पूर्ण मयंक। रोग शोक से मुक्त जग, कुसमित पुष्प शशांक।।१।। सोम सरस मधुपान से, हो जीवन आन…
वफा का गीत गाया जा रहा है - ग़ज़ल - सुषमा दीक्षित शुक्ला
वफा का गीत गाया जा रहा है। मुझे दिल से हटाया जा रहा है। तड़प देखो शमा की बेबसी भी, उसे फिर से जलाया जा रहा है। नसीबा में जिसे …
भारत: डिजिटल स्ट्राइक - कविता - मधुस्मिता सेनापति
सर्वश्रेष्ठ युद्ध वो नहीं जहां रक्त के बिंदु वहा जाए भारत हमारे देश का नाम जहां सब को माफ किया जाए....!! कितनों ने हमें धोखा दि…
वीर अब्दुल हमीद - कविता - बजरंगी लाल
जंग-ए-1965 में अपनी जाँबाजी दिखलाया, संयुक्त राष्ट्र का तोड़ टैंक भारत का लोहा मनवाया। जिसके बल पर था उछल रहा,पाक हमेशा लड़ने को, …
मेरी कामना - प्रार्थना - शेखर कुमार रंजन
मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि, हे ईश्वर जो कुछ भी सकारात्मक सोचू उसे मै पूरा करूँ। चाहे कितनी भी बाधाएं आए मैं डटकर उसका मुकाबल…
भारत तकनीकी दृष्टि से भी चीन से आगे निकल जाएगा - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
यदि हम सभी आत्मनिर्भर भारत अभियान के मूल मंत्र को आत्मसात कर लें एवं पूरी तरह से अपना लें तो निश्चिय ही भारत टेक्नोलॉजी मे भी चीन …
स्वदेशी हृदयस्थल भरा हूँ - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
स्वदेशी अन्तस्थली मेरी, मधुरिम भावना से भरा हूँ। स्वाभिमान नित धरती मेरी, नव निर्माण मानस भरा हूँ। माँ भार…
जीवन के सफर में - कविता - मधुस्मिता सेनापति
जब हम चलना शुरू करते हैं, तो दिक्कतें आती रहती है, अगर हम चलना जारी रखें, तो धीरे धीरे मंज़िल नजर आने लगती है... अगर हम र…
प्रेम का सागर - कविता - अतुल पाठक
प्रेम का सागर अनन्त है गहरा अविरल बहता कभी न ठहरा हर कोई चाहता प्रेम का सागर प्रेम बिन सूनी जग की गागर प्रेम का सागर हृदय भाव …
आदतों में परिवर्तन का महत्त्वपूर्ण दौर - लेख - सतीश श्रीवास्तव
हमारी संस्कृति में जो जीवन जीने के तौर-तरीकों को अपनाने के उल्लेख मिलते हैं उसमें अच्छी तरह से हाथ धोना भी सिखाया है तो वहीं स्वच्छ…
महान क्रिकेटर - कहानी - पम्मी कुमारी
स्वाभिमान की लडाई लडने वाले लोगों को ही दुनिया सम्मान करती है। इतिहास का एक महान क्रिकेटर जो वंचित/पीडित वर्ग से था, जो अम्बेदकर …
असमानता का चश्मा - कविता - अतुल पाठक
असमानता का चश्मा जब तक अपनी समझ से न हटा पाओगे तब तक न अपने समाज को सुंदर और न देश को मेरा भारत महान बना पाओगे जहाँ बेटियों और …
जल के बिना न जीवन है - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जल ही तो जीवन है यारों , सूक्ति सुनी ये होगी । जलमय ही शरीर मानव का, मुक्ति इसी से होगी । इंद्रदेव अरु वरुण देव भी , जलमय रू…
मानव का हूनर, क्या कहना - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मानव का हूनर ! क्या कहना, है जीवन का षोडश गहना। उत्थान पतन के राहों से, गम खुशी साथ लेकर चलना। खोटे सिक्के …
जिन्दगी के अपूर्व दास्तान - कविता - मधुस्मिता सेनापति
जीवन एक ज्योति है, जलने के लिए, जलना है सिर्फ उजाले के लिए......... जीवन पुष्प है, खेलने के लिए, खिलता है सिर्फ महकने के लिए.....…
महामारियां - कविता - सतीश श्रीवास्तव
पहले भी आईं थीं तमाम महामारियां चलीं गईं जैसी आईं थीं तमाम आपदाओं से भी जूझे और जीत हमारी हुई अब कोरोना को हम ही हरायेंगे जिं…
तेरै याद सै के भुलगी - हरियाणवी कविता - समुन्द्र सिंह पंवार
वो पहली मुलाकात वो सावन की बरसात तेरै याद सै के भुलगी करकै ट्यूशन का बहाना वो मिलन मेरे तै आना तेरै याद सै के भुलगी मेरै आग…
सपनों की दुनिया - कविता - मधुस्मिता सेनापति
दुनियां में रहनेवाले वोह इंसान है बहुत छोटा.... लेकिन, उसकी आंखो में सपनों की मोहताज है बहुत बड़ा.... सपनों को पूरा करने की च…
तुम ही मेरे सावन थे - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
तुम थे बसन्त मेरे तुम ही मेरे सावन थे। तुमसे ही हर मौसम था सब कुछ तुम साजन थे। तुम से ही तो जगमग इस घर की दीवाली थी। तुम सँग ही …
खिले चमन मुस्कान - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अरुणिम नित निर्माण का , नव पथ का आलोक। विमल हृदय शुभ चिन्तना, मिटे विघ्न सब शोक।।१।। मितभाषी परहितमना, करें ईश मधुपान। …
गुस्से पर नियंत्रण न होना बहुत बड़ी समस्या है - लेख - शेखर कुमार रंजन
यह बात बिलकुल सही है कि इंसान को गुस्सा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा नुकसान उन्हें ही होती हैं जो गुस्सा करता हैं। क्योंकि ग…
जलती धरती मन मेरा - कविता - अतुल पाठक
न पेड़ रहा न डाली खत्म हो रही हरियाली पशु पक्षी जीव जन्तु आज नहीं सुरक्षित हैं आधुनिकता के मद में लोग बड़े कलंकित हैं किस ओर जीवन…
मृत्युभोज निषेध - लेख - पम्मी कुमारी
सरकार द्वारा राजस्थान मृत्यु भोज निषेध अधिनियम 1960 लगभग 6 दशकों पूर्व ही लागू कर मृत्युभोज करने पर पाबंदी लगाई जा चुकी है। इस अधि…
खुद्दार हैं हम सब - ग़ज़ल - दिलशेर "दिल"
नफ़रत के पुजारी न तरफदार हैं हम सब। हाँ उन्स-ओ-मुहब्बत के परस्तार हैं हम सब। दर-दर का भिखारी न समझना कभी हमको, फितरत से हमेशा ही …
भारत माँ की गुहार - मुक्तक - बजरंगी लाल
जागो भारत के वीर सपूतों धरती तुम्हें पुकार रही, मानचित्र में अब चीन नहीं हो घर-घर की यही पुकार रही। इस पापी जिनपिंग को अब उसकी औका…
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