सपनों की दुनिया - कविता - मधुस्मिता सेनापति

दुनियां में रहनेवाले 
वोह इंसान है बहुत छोटा....

लेकिन, उसकी आंखो में
सपनों की मोहताज है बहुत बड़ा....

सपनों को पूरा करने की चाहत
ओर उम्मीद मन में है भरा - पड़ा.....

हर प्राणी अपने जीवन के सभी
समस्याओं के साथ है पला - बड़ा.....

कभी कोई प्राणी अपने बुरे स्थिति
से कभी टूट पड़ा....

तो कोई प्राणी अपनी स्थिति से
सिख लेकर हुआ खड़ा....

यह जीवन की एक बिधी है
इसको स्वीकारना एक सिद्धि है......

फिर भी है मानव जी लो 
अपने जींदेगी थोड़ा-थोड़ा....

मधुस्मिता सेनापति - भुवनेश्वर (ओडिशा)

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