मानव का हूनर, क्या कहना - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

मानव  का  हूनर ! क्या  कहना,
है    जीवन  का  षोडश गहना।
उत्थान    पतन   के   राहों   से,
गम  खुशी साथ  लेकर चलना।

खोटे  सिक्के  को  स्वर्ण  बना,
दुर्गम   गिरि सरिता  राह चला।
विश्वास सदा  निज  हूनर   पर,
यायावर  सत    सोपान   चढ़ा। 

सुमति विवेक  रथ पर  चलना,
हर  ध्येय  विविध साँचे गढ़ना।
नव सोच  सदा  निर्माणक बन,
गाथा  नवीन   शिल्पी   रचना। 

मानव हूनर नित  प्रकृति सजी,
अनुसंधान  नये नवप्रगति  हुई।
नित आत्मबली साहस  धीरज, 
खुशियाँ  मानव  परवान  चढ़ी।  

बदले    किस्मत   अरमान  नये,
माटी     से   सुन्दर   रूप  सजे। 
नित शील त्याग अनुशासित बन,
मानव     हूनर    वरदान     बने।  

बन कीर्ति  कलश युगनायक  वे,
विज्ञान   विविध   युगधायक  ये। 
कर्मठ  परहित   जीवन  साधक,
हूनर    निशिवासर   ताकत   वे। 

आयाम  नया   आधान   सृजन,
मानव    हूनर    सम्मान   नमन।
हे गजधर नित  कल्याणक जग, 
जयगान  मनुज  हूनर  अविरत।।

मानव  का  हूनर !  क्या कहना,
है  अमर  सुधा  जीवन   रसना।
नवांकुर  सृजित  नवरंग  जगत् ,
है   जीवन   का  षोडश  गहना। 


डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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