तेरै याद सै के भुलगी - हरियाणवी कविता - समुन्द्र सिंह पंवार

वो पहली मुलाकात
वो सावन की बरसात
तेरै याद सै के भुलगी

करकै ट्यूशन का बहाना
वो मिलन मेरे तै  आना
तेरै याद सै के भुलगी

मेरै आगै - पिछै डोलना
मनै जानू - जानू बोलना
तेरै याद सै के भुलगी

तू घाल हाथां मै हाथ
करती ढेर सारी बात
तेरै याद सै के भुलगी

सुण वो तेरा मेरे पै मरणा
मेरे गोड्यां मै सिर धरणा
तेरै याद सै के भुलगी

कैंटीन मै बैठ बतलाणा
वो गर्म समोसे खाणा
तेरै याद सै के भुलगी

मनै माँनै थी तु अपना
था संग जीने का सपना
तेरै याद सै के भुलगी

सुण वो तीजां का त्योहार
तनै झुलाया करता "पंवार"
तेरै याद सै के भुलगी

समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)

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