भारत तकनीकी दृष्टि से भी चीन से आगे निकल जाएगा - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला

यदि हम सभी आत्मनिर्भर भारत अभियान के मूल मंत्र को आत्मसात कर लें एवं पूरी तरह से  अपना लें तो निश्चिय ही भारत टेक्नोलॉजी मे भी चीन को पछाड़ देगा।
भारत जैसे देश में क्षमता एवं संभावनाओं की कमी नहीं है।
वैसे भी अभी तक भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारी कृषि रही है, एवं यहां की सदियों पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद जो विश्व में किसी के पास नहीं है। अब बहुत जल्द ही हमारी तकनीक भी आगे आएगी।
इसके लिए आवश्यक है कि भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान और वैज्ञानिकों दोनों को प्रोत्साहन दिया जाए। टेक्नोलॉजी पर रिसर्च को फोकस किया जाए।
शिक्षा नीति में ठोस बदलाव किए जाएं, ताकि कॉलेज से निकलने वाले युवाओं के हाथ में खोखली डिग्रियों के बजाय उनके दिलों में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो।

विज्ञान शिक्षा के द्वारा हमें अधिक से अधिक प्रतिभावान युवा वैज्ञानिक तैयार करने होंगे। उनकी रुचि रिसर्च अनुसंधान खोज करने की ओर बढ़े और हमें प्रतिभावान युवा वैज्ञानिक अधिक से अधिक मिलें, और यह भी संभव होगा तभी होगा जब हमारे देश की योग्यता से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। जब प्रतिभावान युवा वैज्ञानिक भ्रष्टाचार के  के कारण विदेश में जाने को मजबूर नहीं होंगे।

हमारे देश ब्रेन डैमेज का शिकार होने से रोकना होगा। अगर हम आज से ही इस दिशा में सोचेंगे, व चीनी सामान का भी पूर्ण बहिष्कार करेंगे तो अवश्य ही हम जल्द ही टेक्नोलॉजी में भी चीन को पछाड़ देंगे।
दूसरी बात यह भी है कि जो कल (1 जुलाई 2020) से हमारी सरकार द्वारा चीनी के प्रोडक्ट को नकार दिया गया बैन लगा दिया गया, ये चीन को तकनीकी क्षेत्र मे मात देने का पहला कदम है।
भारत ने चीन को भारत से अच्छी कमाई रोक दी एवं हमारा पैसा भारतीय टेक्नोलॉजी में जाएगा तो टेक्नोलॉजी भी विकसित होगी आर्थिक सम्बल भी बढ़ेगा।
भारतीय अवस्था को दीर्घकालिक लाभ पहुंचाने की दृष्टि से उठाया गया एक मजबूत कदम है आत्मनिर्भर भारत।
जब तक हम आत्मनिर्भर नहीं बनेंगे चीन का आर्थिक बहिष्कार पूरी तरह नहीं करेंगे तब तक टेक्नोलॉजी में चीन से आगे नहीं जा पाएंगे तो चीन को आर्थिक एवं रूप से धराशाई करने का कदम भी चीनी सामानों का बहिष्कार है।
अब तक आम नहीं खास आदमी भी चीनी सामान के माया जाल में फंसा हुआ था।
बड़ी-बड़ी कंपनियां भी चीनी के भ्रम जाल में उलझी हुई थी, क्योंकि यहां सिर्फ मोबाइल मार्केट की हिस्सेदारी की बात नहीं टीवी व अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण से लेकर गाड़ियों की मोटर पार्ट्स, चिप्स, प्लास्टिक फार्मा दवा कंपनियों द्वारा आयातित कच्चे माल की मार्केट भी चीन पर निर्भर रहती थी।

अब जोश एवं होश से काम लेना होगा, और चीन के सामान को त्यागते हुए, अपना पैसा अपने देश मे रखना होगा एवं अपने देश के वैज्ञानिकों की क्षमता को पहचानना होगा उनकी वैज्ञानिक क्षमता को और अधिक विकसित करना होगा। तो निश्चय ही हम टेक्नोलॉजी मे चीन से जल्द ही आगे होंगे।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उ०प्र०)

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