गुस्से पर नियंत्रण न होना बहुत बड़ी समस्या है - लेख - शेखर कुमार रंजन

यह बात बिलकुल सही है कि इंसान को गुस्सा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा नुकसान उन्हें ही होती हैं जो गुस्सा करता हैं। क्योंकि गुस्सा दिलाकर आपका दुश्मन आपसे कोई भी बुरा कार्य करवा सकता हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि लोहा का आकार तब ही बदला जाता है जब वह बहुत ज्यादा गर्म होता हैं। इसी प्रकार हम गुस्से में कौन-कौन सा रूप धारण कर लेते है पता ही नहीं चलता है। आपको एक बात पता होना चाहिए कि आप जीवन में यह तय नहीं कर सकते है, कि परिस्थितियां कैसी होगी? आप सिर्फ यह तय कर सकते है कि आप उनका सामना कैसे करेंगे। दूसरों द्वारा उकसाने पर तुरंत उत्तेजित होने की बजाय अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने की क्षमता होनी चाहिए।

मैं यहीं कहना चाहूंगा कि जीवन की कमान अपनी हाथों ले लो और अपनी कमियों को पहचान कर उसे मिटाने के दिशा में कार्य आरंभ कर दो। कल किसी ने देखा नहीं और कल कभी आया नहीं। इसलिए अपने निर्णय को कल पर मत टालिये। बस एक ही सूत्र पढ़कर समझ लेना है कि यह कार्य आज ही कर लेता हूँ। यदि इस सूत्र पर जीवन के प्रश्नों को यदि हल करते हो तो अवश्य ही सफलता हासिल करोगे। जब परिवर्तन हमारे भीतर से शुरू होती हैं तो वह स्थाई होती है इसलिए सच्चे हृदय से यह परिवर्तन करें। यदि आपने सही लक्ष्य बना लिया तो समझों आधा से ज्यादा सफर तय कर लिया। अपनी मंजिल को ध्यान में रखकर पूरी शान्ति के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़े। हो सकता है कि आपको अंदर से बेचैन करना आपके दुश्मन के चालों में से, ही एक हो। आपको गुस्सा दिलाकर भी आपका दुश्मन अपने चाल में कामयाब हो सकता है क्योंकि तब आप अपने वास्तविक स्थिति में नहीं होते हैं।यह जरूरी नहीं कि हम हमेशा अपने कार्य में सफल ही हो। आप जब अपने लक्ष्यों का सफर शुरू करते है तब ही से सफलताओं और असफलताओं का सिलसिला शुरू हो जाता हैं।

हमें स्वयं के श्रेष्ठ कार्यों हेतु दूसरों से सदैव सराहना की उम्मीद रखना बेईमानी है। जिंदगी हमारी है, मेहनत हमारी है, सपने हमारे है, सफलता और असफलता हमारी है, तो हम दूसरों के प्रतिक्रिया पर आश्रित क्यों रहे? मेरी सोच है कि हमें छोटी-छोटी मंजिलों को प्राप्त करने के बाद खुश होना चाहिए। अन्य लोग आपकी उपलब्धि के बारे में क्या सोच रहे है इससे मतलब नहीं रखिये क्योंकि आपको पता है कि ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिसे आप करोगे और सारे लोग आपसे खुश हो जायेंगे। आपके कार्यों के कारण आपसे कुछ लोग खुश होंगे तो कुछ दुखी भी होंगे आपको यह तय नहीं करना है कि किसे खुश करना है और किसे दुख बस आपको वहीं करना है जो सही हो यदि आपके सही करने पर भी कोई आपसे दुखी हो तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं। आप यदि सही हो तो कोई आपसे रूठे या बात करें यह मायने नहीं रखता है। अब आपको अपनी सत्य पर अडिग रहने की आवश्यकता है। यदि आप शान्तिपूर्ण तरीकों से अपने पथ पर जा रहे हो तो, हो सकता है कि आपको आपके मंजिल से दिग्भ्रमित करने के लिए आपका दुश्मन आपको गुस्सा भी दिलाकर आपको रास्तों में ही उलझा कर रखने की साजिश कर रहा हो किन्तु खुद को संतुलित रखते हुए बिना गुस्सा किये अपने पथ पर चलते जाओगे तो अवश्य जल्द ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लोगे। मैं आशा करता हूँ कि आज के बाद आप कभी भी गुस्सा करने से बचोगे।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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