संदेश
नमन करूँ मैं पंत को - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
महा कवि सुमित्रानंदन पंत जी के लिए लिखी गई दोहे। सुमित्रानंदन पंत छायावादी महल का , स्तम्भोंं में सिरमौर। प्रकृति …
समझ के पागल मुझको समझाने आए हैं लोग - ग़ज़ल - अशोक योगी
समझ के पागल मुझको समझाने आए हैं लोग मै पीता हूं उजालों में अंधेरों में मस्ताए हैं लोग । दैर-ओ-काबा को समझा मैंने अपनी मधुशाला …
बापू देव पुरुष ही थे - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ये कविता एक पुत्री के द्वारा उसके महान साहित्यकार एवं क्रांतिकारी पिता के प्रति भावनाओ की अभिव्यक्ति का माध्यम है। स्व. डॉ देवव्…
गज़ब रोटिका अज़ब कहानी - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रोटी नहीं चीज़ है छोटी, पता नहीं क्या काम कराती। दर दर की ठोकरें खिलाती, सब पापों को वही कराती। रोटी ये भी बड़ी न…
ग़रीबी और महामारी - कविता - आकांक्षा भारद्वाज
ये काल का चक्र भयंकर है कैसी विपदा आयी है जो बना हर इंसाँ दुर्बल है। ना शोर ना सपाटा है अब हर जगह बस सन्नाटा है।। है कुछ लोग…
भूखे मरने लगे कलाकार - गीत - समुन्दर सिंह पंवार
भूखे मरण लगे कलाकार , इनकी मदद करो इनके ठप्प होगे रोजगार , इनकी मदद करो लोकडॉउन के कारण भाई इनके ऊपर आफत आई सब होगे बेरोजग…
देश मे आत्मनिर्भरता का मतलब - लेख - सुनील श्री
आज कल इस विपदा के घड़ी में एक बहुत ही अच्छी बात सामने निकलकर आयी है, वो है देश को आत्मनिर्भरता पे जोड़ देना जिसमें खुद के स्वदेश…
तेरा देश पुकारे - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जागो रे भारत सन्तानें , तेरा देश पुकारे। सिसक रही है मातु भारती , आगे हाथ पसारे। जागो रे भारत सन्तानें …
घणे तंग होरये मजदूर - गीत - समुन्दर सिंह पंवार
घणे तंग होरये सैं मजदूर जाणा पैदल घणी दूर घणी होरयी सै परेशानी संग मैं बच्चे और जनानी दिये सता बिना ये कसूर जाणा पैदल घणी दूर…
उम्मीद - हाइकु कविता - हेमलता शर्मा
सुख दुख पर चाह मे अपने हितसाधना उम्मीद है। जब मौन तम बढ़ती रजनी तब किरणें ही उम्मीद है। कुछ सोच जरा कुछ करने को नया…
मूर्धन्य साहित्यकार एवं क्रांतिकारी स्व. डॉ. देवव्रत दीक्षित - जीवनी
भारतीय साहित्य के इतिहास ऐसे कई साहित्यकार हुए हैं जिनके उत्कृष्ट साहित्य और कृतित्व का मूल्यांकन उतना नहीं हुआ जिसके कि वे हकदार…
सफ़र अधूरा - कविता - चीनू गिरि
अभी तो मेरा सफ़र अधूरा है मंजिल को पाने का ख्वाब अधूरा है निकल पडी हुं मैं जिस राह पर मंजिल तक जाने का रास्ता अधूरा है अभी रास्…
आत्मनिर्भर हम बने - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अपने को अपना कहें , स्वीकारें भी अन्य। अच्छाई जिसमें दिखे, बनाये उसे अनन्य।।१।। आत्म निर्भर हम बने ,…
कोरोना काल में मजदूर - मुक्तक - बजरंगी लाल यादव
अब ट्रेन ना चलाना नासूर बन रहा है, ट्रेलर-ट्रकों में दबकर मजदूर मर रहा है, जिसकी बदौलतों से वतन है आज चमका, उन मुफ़लिसों को देखो…
शिव स्तुति - गीत - समुन्दर सिंह पंवार
जय हो शिव शंकर भगवान तेरी लीला बड़ी महान तेरी जट्टा में गंगा बहती तेरे संग में गोरा रहती तेरा धरती दुनिया ध्यान तेरी लीला बड़ी …
चीन के खिलाफ घेराबंदी जरूरी हो गई है - लेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
सभी देश चीन को कोरोनावायरस फैलाने का दोषी मान रहे हैं । इस वायरस ने न केवल लाखों लोगों की जान ली है बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी गहरा…
सृष्टि बनी अभिराम - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
निर्मलता चहुँमुख प्रकृति, सृष्टि बनी अभिराम। स्वच्छ सरोवर नदी जल , नीलांचल श्री धाम।।१।। हंसवृन्द प्रमुदित हृदय , …
हुकूमत को तेरी कुदरत समझ ना आज तक पाये - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
हुकूमत को तेरी कुदरत , समझ ना आज तक पाये कहीँ इक इक निवाले को , बहुत से लोग तरसे हैं । कहीँ तो अन्न के पूरे भरे गोदाम…
याद - कविता - चीनू गिरि
जब से तुम छोडकर गये , हमे तेरी याद बहुत आये .... रोज तकिये गीले हो जाते, हमे तेरा प्यार बहुत रुल…
विश्व धरा परिवार - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
भारतीय सिद्धान्त है , विश्व धरा परिवार। लघुतर है पर चिन्तना, अपना पर आचार।। हो नीरोग शिक्षित सभी , उन्नत धन विज…
हम तुम - कविता - भरत कोराणा
जब खामोशी गा रही थी प्रणय वेदना तब हम - तुम हाथ थाम निगाहें मिला सोच रहे थे। की ये पुराना पीपल और इसके पीले पत्ते कितने ग…
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