घणे तंग होरये मजदूर - गीत - समुन्दर सिंह पंवार


घणे तंग होरये सैं मजदूर
जाणा पैदल घणी दूर

घणी होरयी सै परेशानी
संग मैं बच्चे और जनानी
दिये सता बिना ये कसूर
जाणा पैदल घणी दूर

पड़ -पड़ फूटे पैरां मै छाले
होरये जान के भी लाले
हुये सब तरियां मजबूर
जाणा पैदल घणी दूर

चलरे भूखे प्यासे
ये दीखें घणे उदासे
हुए सपने चकनाचूर
जाणा पैदल घणी दूर

ना करता कोय गौर
सब झूठा करते शोर
सब इनके प्रति क्रूर
जाणा पैदल घणी दूर

कुछ हवाई जहाज से आते
उनको इज्जत से घर पहुचाते
ये कैसा है दस्तूर
जाणा पैदल घणी दूर

नूँ समुन्दर सिंह समझाता
सैं ये राष्ट्र के निर्माता
करो सहायता इनकी जरूर
जाणा पैदल घणी दूर

समुन्दर सिंह पंवार
रोहतक (हरियाणा)

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