नमन करूँ मैं पंत को - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"



महा कवि सुमित्रानंदन पंत जी के लिए लिखी गई दोहे।
सुमित्रानंदन पंत

छायावादी   महल   का , स्तम्भोंं  में  सिरमौर। 
प्रकृति   का  सुकुमार कवि , पंत  दूसरा और।।१।।

ज्ञानपीठ भी धन्य था , देकर   निज   सम्मान। 
पुलकित पा  हिन्दी  वतन , पूत पंत   वरदान।।२।।

कोकिल भारत भारती , पंत   श्रेष्ठ  कविमान।
निर्माणक हिन्दी  विधा,  नव युग का आधान।।३।। 

स्वर्णयुगी बन कवि प्रथम ,रचना शस्त्र प्रयोग। 
गोरों के  आधीन  वतन , दी   आज़ादी   योग।।४।।

पद्म विभूषण भारती , कविता  पुष्प    पराग।
साहित्य मान अकादमी,पंत  दिखा   अनुराग।।५।।

है कृतज्ञ  हिन्दी वतन ,  साहित्यिक अनुदान।
पंत सुरभि कवि कामिनी,महकें शुभ मुस्कान।।६।। 

मेरा   है  शत्शत नमन ,   सुमित्रा   नंदन  पंत। 
चारुचंद्र शीतल प्रकृति,माणिक कीर्ति अनन्त।।७।।

नमन   करूँ  मैं  पंत को , श्रद्धा  पुष्प प्रदान। 
पाऊँ कहँ कवि पंत सम ,प्रकृति गंध मुस्कान।।८।।


डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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