भारतीय सिद्धान्त है , विश्व धरा परिवार।
लघुतर है पर चिन्तना, अपना पर आचार।।
हो नीरोग शिक्षित सभी , उन्नत धन विज्ञान।
सहयोगी परहित बने , दें सबको सम्मान।।
अपनापन के भाव हों , खुशियों का अंबार।
रोम रोम पुलकित श्रवण,प्रीत मधुर परिवार।।
हो शीतल निर्मल हृदय, खिले मनोहर बोल।
अर्पण तन धन आपदा ,शुभदायक अनमोल।।
मददगार सुख दुःख में, दृढ़तर हो विश्वास।
आत्मीय तन मन वचन, खड़े साथ आभास।।
शक्ति। बड़ी है एकता , करे आपदा मुक्त।
देश, विश्व , परिवार में , संघ शक्ति है सूक्त।।
हरि अनंत है हरि कथा , जग अनंत व्यवहार।
देश काल पात्रस्थली , दर्शन भेद विचार।।
मति विवेक दिव्यास्त्र से ,प्रीति रीति चढ़ यान।
दूर करें मतभेद को , सबको दें सम्मान।।
सँभल चलें परिवार में , है नाज़ुक सम्बन्ध।
तुला तौल रख बोल को , मौन बचे तटबन्ध।।
सबका सुख मुस्कान मुख,अमन सुखद संचार।
खुशी प्रेम के रंग से , रंजित घर परिवार।।
शान्ति प्रेम मय हो धरा ,नीति प्रीति संसार।
मानवता परिवार हो , राजधर्म सुखसार।।
कवि निकुंज शुभकामना, विश्व दिवस परिवार।
तजो स्वार्थ मनभेद को, बनो एक गलहार।।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली