सुख
दुख पर
चाह मे अपने
हितसाधना उम्मीद है।
जब
मौन तम
बढ़ती रजनी तब
किरणें ही उम्मीद है।
कुछ
सोच जरा
कुछ करने को
नया बनना उम्मीद है।
भाषा
जिल्दो मे
सज जाये गर
तब ही तो उम्मीद है।
हेमलता शर्माअजमेर (राजस्थान)
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