जागो रे भारत सन्तानें , तेरा देश पुकारे।
सिसक रही है मातु भारती , आगे हाथ पसारे।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
बहुत हुआ विश्राम किए तुम, भूल वतन दुख सारे।
रातदिन सीमान्त खड़े जो , भारत माँ के प्यारे ।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
उठ जागो जनता भारत की, स्वरक्षा देश पुकारे।
आतंकी नापाकी खल को, चलो समूल उखाड़ें।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
बहुत सही अवसाद भारती , बलि दें पाँव पखारें।
बर्षों के पाकी आतंकी , लाखों के हत्यारे।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
भीख पात्र ले बना भिखारी , बार बार रण हारे।
पाक मिटाओ मानचित्र भूवि , जिन्दा चीन सहारे।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
तिल तिल मारो पाक दनुज को,जबतक प्राण पधारे।
कुल कलंक यह मातु भारती,ख़ुद माँ कोख उजाड़े।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
धुंधकारी बन स्वकुलघातक , दहशत पाक सँवारे।
मानवता के दुश्मन पाकी , साथ चलो संहारें।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
दें सूकून हम भारत माँ को, जो आश हमें निहारे।
आन बान हम शान वतन बन , माँ की कर्ज उतारें।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
बलिदानी बन अमरपूत हम , आरत मातु उतारें।
खिले चमन नित प्रगति पुष्प से,महकें भारत न्यारे।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
विश्व पटल गणतंत्र दीर्घतर, ध्वज तिरंग लहराये।
जनगण मन अधिनायक भारत,जयतु हिन्द के नारे।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
वन्दे मातरम् फिर से गुंजे , भारत वीर दुलारे।
कर निकुंज जयगान वतन का, निरत देश बलिहारे।
जागो रे भारत सन्तानें ..................................।
नमन करो उन माँ पिता वधू ,पिता पूत पति खोए।
कर्जदार हम करें नमन नित, अमर ज्योति बलिहारे।
जागो रे भारत सन्तानें , तेरा देश पुकारे।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली