संदेश
कुहासा - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
क्या कहूँ? मेरी जीवन में तो हमेशा ही छाया रहता है, बेबसी, लाचारी, भूख का कभी न मिटने वाला कुहासा। औरों का तो छंट भी जाता है मौसम…
खोटा सिक्का - कविता - तेज देवांगन
जिसका कोई सार नहीं, तल नहीं, ना पार नहीं, टूट कर जो बिखरे, उसका कोई ख़्याल नहीं। मै वहीं खोटा सिक्का हूँ, हाँ ज़िंदगी मै तेरा हारा हुआ…
प्रत्यक्ष - कविता - गणपत लाल उदय
ज़िन्दगी अपने लिए जीना, यह एक आम बात। लेकिन अपने देश के लिए जीना, ये ख़ास बात।। प्रत्यक्ष में हमने देखा, मौत को गले मिलते हुऐ। सीमा पर …
माँ सरस्वती वंदना - कविता - विकाश बैनीवाल
हे माँ वीणापाणि हे माँ शारदे, दंभता का भार मेरा उतार दे। सद्बुद्धि दे मुझ अज्ञानी को, इतनी कृपा मुझ पर निसार दे। हे माँ वीणापाणि ह…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग २४) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(२४) आंदोलन तत्काल, रंग लाया अतिकारी। प्रांत हुए उत्ताल, लगी होने बमबारी। हिन्दू मुस्लिम सिक्ख, आदिवासी ईसाई। भेदभाव सब भूल, बने आ…
सँजोए सजन मन - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
अज़ब खूबसूरत, नज़ाकत तुम्हारी। नशीली इबादत, मुख मुस्कान तेरी। कजरारी आँखें, मधुशाला सुरीली। लहराती जुल्फें, बनी एक पह…
दिवा स्वप्न दिखलाने वाले - नवगीत - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
सूरज को झुठलाने वाले जुगनू बन इठलाने वाले सुन, नन्हें तारों की महफ़िल से यह दुनिया बहुत बड़ी है सूरज-ऊष्मा से अभिसिंचित अनुप्राणित …
सरस्वती वंदना - कविता - अंकुर सिंह
हे विधादायिनी! हे हंसवाहिनी! करो अपनी कृपा अपरम्पार। हे ज्ञानदायिनी! हे वीणावादिनी! बुद्धि दे!, करो भवसागर से पार।। हे कमलवसिनी!, …
कोरोना का क़हर - कविता - राम प्रसाद आर्य
कम नहीं हो रहा, कोरोना का क़हर, परेशां हर गली, गाँव हो या शहर। मास्क मुँह हर किसी के, है चारों पहर, फिर भी बीमार बढ़ते, बढ़ रही मृत्…
अनदेखा क्यों? - कविता - संजय राजभर "समित"
चंद लम्हें! माँ-बाप के पास बैठकर देखो वो सारी तकलीफें भूल जाते हैं। जब हम थके हुए घर आकर बच्चों से पूछ लेते हैं "मम्मी-पापा …
कभी खुदकुशी न करें - कहानी - शेखर कुमार रंजन
आज काया पता नहीं क्यों पर एकदम से बहुत ही टूटा हुआ दिख रहा था। पता नहीं किस बात से वह अगर मगर के भँवर में फँसा हुआ था क्या समस्या थी प…
मौनालाप न चलें प्यार के संग - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
ये मौनालाप न चलें प्यार के संग गोरी तोरी नजरिया के रंग। तुम्हारा प्यार जमा उर में ज्यो मेहंदी का रंग गोरी तोरी नजरिया के रंग। मैंने न …
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग २३) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(२३) मत हो सखी अधीर, प्रभाकर हँस कर बोले। हुए तनिक गंभीर, किरण पट अपना खोले। जयहिंद सिंहनाद, किए नेताजी आकर। श्रमिकों को आबाद, किए थे …
कुछ गर्म काम - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
कोई जड़ाता रहा हीरे मोती अंगुलियों में, कोई कांख में अंगुलियाँ छुपा कर जड़ाता रहा। कोई ठंड में भी आइसक्रीम खा रहा, कोई ठंड में अ…
चुभन - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
विपरीत समय होता जीवन, अवसाद विविध होते हैं मन, लघु बातें भी दे रही चुभन, सब अपने भी खो जाते हैं। नैराश्य मनसि …
सादगी में खूबसूरती - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
ईश्वर ने हमें बहुत सोच समझकर बनाया। सुंदर शक्ल शरीर दिया, जरूरत के हिसाब से आँख कान मुँह नाक व हाथ पैर सिर दिए। हमारे जीवन की जर…
मैं खुशी के पल जी लूँ - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
(एक बेटी की माँ से अपेक्षाएं) मैं सदा प्रसन्न रहूँ, माँ तेरी गोदी में खेलूँ। तेरा आंचल पकड़कर, मैं सदा तेरे साथ फिरूँ। तेरे हाथ की…
आग - कविता - अवनीत कौर
शब्दों की दहकी आग किया स्वाभिमान को राख। वो आग थी गन्दी सोच की, गंदे सड़े विचारो की। शब्द थे वो निशब्द से आग के गोले से दहकते, वो शब्द…
अरमान - कविता - श्रवण निर्वाण
जीवन के सब रंग है, तुम से जीने के ढंग भी सब तुम से। मेरे जीवन की सब सजावट यह हँसी ख़ुशी की मिलावट। तुम हो तो नूतन मेरे विचार मन दे…
तब भगवान याद आते - कविता - रमाकांत सोनी
सारे रास्ते बंद हो जाए, कोई राह नजर ना आए, अपने सब बेगाने लगते, जीवन अंधकारय हो जाए। कुछ भी अच्छा लगे ना जब, मन के सुख चैन खो जाते,…
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