मैं खुशी के पल जी लूँ - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"

(एक बेटी की माँ से अपेक्षाएं)


मैं सदा प्रसन्न रहूँ,
माँ तेरी गोदी में खेलूँ।
तेरा आंचल पकड़कर,
मैं सदा तेरे साथ फिरूँ।
तेरे हाथ की उँगली थाम,
मैं खुशी के पल जी लूँ।
तेरा आशीर्वाद पाकर,
मैं बड़ी  बनना चाहूँ।
सुखद परियों की तरह,
मैं भी पलना चाहूँ।
कभी ऐसी बड़ी न होऊँ,
तेरा स्नेह कभी ना खोऊँ।
तेरे नक्शें-कदम चलकर,
मैं भी ऊँची उड़ान भरना चाहूँ।
गुड़ियों का संसार सजाकर
उन पर शासन करना चाहूँ।


कानाराम पारीक "कल्याण" - साँचौर, जालोर (राजस्थान)


Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos