अज़ब खूबसूरत, नज़ाकत तुम्हारी।
नशीली इबादत, मुख मुस्कान तेरी।
कजरारी आँखें, मधुशाला सुरीली।
लहराती जुल्फें, बनी एक पहेली।
गालें गुलाबी, गज़ब सी ये लाली।
चंचल वदन चारु, लटकी कानबाली।
दिली प्रीति मन में, नटखटी तू लजायी।
मुहब्बत नशा ये, ख़ुद मुखरा सजायी।
संजोए सजन मन, बयां करती जवानी।
कयामत ख़ुदा की, मदमाती रवानी।
अनोखी परी तू, निराली दीवानी।
कयामत ख़ुदा की, मदमाती रवानी।
खिलो जिंदगी में, महकती कमलिनी सी।
निशि की नशा बन, हँसती चाँदनी सी।
पूजा तू अर्चन, चाहत जिंदगी की।
रुख़्सार गुल्फ़ाम, चाहत प्रिय मिलन की।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली