सादगी में खूबसूरती - कविता - सुधीर श्रीवास्तव

ईश्वर ने हमें
बहुत सोच समझकर बनाया।
सुंदर शक्ल शरीर दिया,
जरूरत के हिसाब से
आँख कान मुँह नाक व
हाथ पैर सिर दिए।
हमारे जीवन की जरुरत
पूरी करने के लिए
प्रकृति का खूबसूरत उपहार दिया।
परंतु अफसोस
आज हम प्रकृति से ही खिलवाड़
करने लगे हैं,
ईश्वरीय विधान में
व्यवधान बनने लगे हैं,
सादगी पर कृतिमता का
मुलम्मा चढ़ाने लगे हैं,
प्रकृति की सुंदर सादगी पर
प्रहार करने लगे हैं।
ऐसा लगता है कि
हम सब भूल रहे हैं,
सादगी में ही
कुदरती खूबसूरती है,
या फिर घमंड में हैं कि
आज तो हम ही ईश्वर हैं।
ठहरिए, सोचिए
कहीं हम खुद के लिए
धरती, पशु पक्षी, जीवों
मानवों के दुश्मन
तो नहीं हो रहे हैं?


सुधीर श्रीवास्तव - बड़गाँव, गोण्डा (उत्तर प्रदेश)


साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos