माँ सरस्वती वंदना - कविता - विकाश बैनीवाल

हे माँ वीणापाणि हे माँ शारदे,
दंभता का भार मेरा उतार दे।
सद्बुद्धि दे मुझ अज्ञानी को,
इतनी कृपा मुझ पर निसार दे।


हे माँ वीणापाणि हे माँ शारदे,
मेरी लेखी मेरी कृति सुधार दें।
लेखन से कष्ट न हो किसी को,
शुद्ध मती के सकल विचार दें।


हे माँ वीणापाणि हे माँ शारदे,
सु-अखरों का मुझे अम्बार दें।
संस्कृति व सभ्यता लिए संग,
मेरी रचना को नवल शृंगार दे।


हे माँ वीणापाणि हे माँ शारदे,
सत्य, धर्म का सौम्य उपहार दें।
चरण धूलि में रख ताउम्र मुझे,
अटल, अमिट, अमर उदगार दें।


विकाश बैनीवाल - भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)


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