तब भगवान याद आते - कविता - रमाकांत सोनी

सारे रास्ते बंद हो जाए, 
कोई राह नजर ना आए, 
अपने सब बेगाने लगते, 
जीवन अंधकारय हो जाए।

कुछ भी अच्छा लगे ना जब,
मन के सुख चैन खो जाते, 
कोई उपाय नजर नहीं आते,
तब भगवान याद आते।

संकट के बादल घिर जाते, 
जब हम मुश्किल में पड़ जाते,
निराशाओं के मेघ आकर, 
घुटन भरा माहौल बनाते। 

तूफानों से भरी जिंदगी, 
आंधियों के सैलाब आते, 
जब बूते से बाहर सब कुछ, 
तब भगवान याद आते।

कोई अपना नजर ना आए, 
जब सर पर आफत आ जाए,
किस्मत साथ नहीं देती हो, 
केवल कंकर हाथ आए।

हवन कर के भी हाथ जले, 
जब अपने ही घर जलाते, 
टूटे पहाड़ दुखों का सर पर, 
तब भगवान याद आते।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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