संदेश
संविधान - कविता - पुनेश समदर्शी
जब भारत को बाबा भीम ने संविधान दे दिया, बहुजन, शोषित, पीड़ितों को सम्मान दे दिया। घूमते थे, जो भूखे-नंगे, कमर में झाड़ू, गले में हां…
भारतीय संविधान दर्शन एवं आदर्श - आलेख - शैलेष मेघवाल
स्वतंत्रता, समता, बंधुता, न्याय, विधि का शासन, विधि के समक्ष समानता, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और धर्म, जाति, लिंग और अन्य किसी भेदभाव के …
बाबा आंबेडकर महान - कविता - गणपत लाल उदय
जान है तो जहान है बाबा आंबेडकर महान है। हमको इन पर गर्व है दिया हमें संविधान है।। बाबा की खूबी तो देखो इतनी डिग्री किसी के पास नह…
युद्ध अभी शेष है (भाग २) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
कुछ दिन बाद....... किसी राज्य के सम्राट ने एक व्यापारी मेले का आयोजन करने की घोषना की सम्राट ने ये संदेश सभी देश-विदेश के राजाओं को दी…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग ३) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(३) मिले बौद्ध अवशेष, स्तूप मूर्तियाँ यहाँ पे? प्रमाण नहीं विशेष, पधारे बुद्ध कहाँ पे? भ्रमण किए थे बुद्ध, बताते स्मारक सारे। ज्ञानी भ…
प्रेम पत्र - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
प्रेम पत्र अरुणाभ मुदित प्रिय, अनुराग राग इज़हार करूँ। पावस चकोर अभिलाष मिलन, सावन भावन रुख़सार करूँ। मन मुकुन्द अभि…
मैं भारत का संविधान हूँ - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
संविधान सभा के अथक प्रयासों से , मैं विश्व के विधानों का वितान हूँ । अच्छे शासन संचालन का ताना बाना , मैं भारत का संविधान हूँ । सं…
नेताजी का चुनावी घोषणा-पत्र - हास्य व्यंग्य लेख - श्याम "राज"
भाइयों और बहनों........ हमने तो वो समय भी देखा है जब आदमी अंधेरा होने के बाद अपने घर से बाहर नहीं निकलता था। भाई-भाई पर शक करता था और …
परिणय सूत्र - कविता - विनय विश्वा
देखा देखी प्रथम चरण हौ दूजा है बरियाती तिजा में दुलहिन घरे आई निज संसार छोड़ी आई। एक भरोसा तुझसे है प्रिये तू संसार है मेरा दो कुटूंब …
गुनगुनी धूप - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
गुनगुनी धूप अब मन को भाने लगी। फिर से पीहर में गोरी लजाने लगी। अब सुहानी लगे सर्द की दुपहरी। मौसमी मयकशी है ये जादू भरी। ठंडी ठंडी हवा…
मेरा पहला पहला प्यार - गीत - रमाकांत सोनी
गुलशन हो गया गुलजार, खिल गया आई बहार, दिल के जुड़ गए जब तार, छाया ये कैसा खुमार, मेरा पहला पहला प्यार, मेरा पहला पहला प्यार। बज उठे …
युद्ध अभी शेष है (भाग १) - कहानी - मोहन चंद वर्मा
युद्ध में विजय होकर लौटे सम्राट की जय-जय कार होने पर सम्राट ने प्रजा से कहा, जय-जय कार केवल मेरी नहीं इन सभी सैनिको की करो। इनकी बाहदु…
मिहिर! अथ कथा सुनाओ (भाग २) - कविता - डॉ. ममता बनर्जी "मंजरी"
(२) पट खोलो जगपाल! समय ने है ललकारा। लाघ क्षेत्र किस काल, जैन मुनियों ने वारा? पूज्य श्री पार्श्वनाथ, पधारे कब शुचि गिरि पर? प्राप…
करो शमन शीतार्त जन - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सिहरन ठिठुरन सर्द तनु, बाल जरा युववृन्द। रविदर्शन ढँक कोहरा, कहाँ खिले अरविन्द।।१।। पड़ी कड़ाके ठंड अब, पहन ऊन गणवेश। हाड़ रार…
पश्चाताप - कविता - प्रवीन "पथिक"
हार गया मैं! सोचता था ; ख़ुश रखूँगा, अपनों को, संगी - साथियों को, अपरिचितों को। सपना था पूरा किया भी सपनों को, पर! न कर पाया अपनों को।…
मै शून्य ही सही - कविता - तेज देवांगन
मै शुन्य ही सही पर एक अदब है मुझमें। ज़िंदगी जीने की शबक है मुझमें। हारना तो मैने सीखा ए बचपन से पर हार कर, जीत की कशक है मुझमें। ना झ…
भ्रष्टाचार - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
अविश्वसनीय सा लगता है पर भ्रष्टाचार का दीमक हर ओर पहुँच ही जाता है, अब क्या क्या, कहाँ कहाँ बताऊँ अब तो कहते हुए भी शर्म लगता है। अब आ…
मुसाफ़िर - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
मुसाफिर की तरह है इंसान यहाँ, सबके हैं अपने-अपने काम यहाँ। सब मशरूफ अपनी ज़रूरत में, कोई मुहब्बत में कोई नफरत में, जीना-मरना भी भूल रह…
मुझे कुछ कहने दो - कविता - आर एस आघात
सदियों का सताया चेहरा हूँ, नारी, रमणी, वनिता और अवला हूँ, देख मेरे अंगों का स्वरूप सदा क्यूँ बहक जाते हो, क़भी मुझे जी भरकर जी लेने दो।…
मैं - कविता - नीरज सिंह कर्दम
काश ! कोई पूछे मुझसे कि मैं क्या हूँ ? मैं कौन हूँ ? मैं सर उठाकर बताने में असमर्थ हूँ । क्योंकि मैं इंसान नही रह गया हूँ । मैं हिंसा,…
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