संविधान - कविता - पुनेश समदर्शी

जब भारत को बाबा भीम ने संविधान दे दिया,
बहुजन, शोषित, पीड़ितों को सम्मान दे दिया।


घूमते थे, जो भूखे-नंगे, कमर में झाड़ू, गले में हांडी बांधकर,
उन सभी को बाबा भीम ने रोटी, कपड़ा, मकान दे दिया।


हिम्मत नहीं थी जिन शोषित, पीड़ितों में अपनी बात कहने की,
उनकों बाबा भीम ने शिक्षा और स्वतंत्रता का वरदान दे दिया।


अब जाति-धर्म, लिंग-भेद के नाम पर नहीं होगा भेदभाव,
समदर्शी, संविधान में बाबा भीम ने ये प्रमाण दे दिया।


सती प्रथा, बाल विवाह और दासी बनाकर सताई जाती रहीं नारियाँ,
हिन्दू कोड बिल के रूप में, बाबा भीम ने सम्मान दे दिया।


अज्ञानी बनाकर रखा सदियों से, जिस बहुजन समाज को,
पुनेश, बाबा भीम ने अब हर एक घर विद्वान दे दिया।


कोटि-कोटि नमन विश्व रत्न, ज्ञान के प्रतीक, नारी मुक्तिदाता को,
जिसने सदियों से शोषितों-पीड़ितों को सम्मान दे दिया।


पुनेश समदर्शी - मारहरा, एटा (उत्तर प्रदेश)


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