संदेश
आबोहवा - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
ये कैसी आज आबोहवा चली। जिंदगी को ले चली उस गली।। किनारा जहाँ मिलता नही। दरिया जहाँ टहलता नही।। फूल भी जहां खिलता नही। इंसान में अब इंस…
रेल यात्री - कविता - प्रेम राम मेघवाल
रेल में सफर करने वाले ऐ यात्री बेशक सफर का तू मजा ले। पर ना कर तू तंग रेल कर्मचारी को नहीं ही तू उन्हें सजा दे। तू दीवाली मनाए घरों म…
मेरी चाहत - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
क्या कहूँ? शब्द जैसे खो गये हैं लगता है ऐसे जैसे तुम्हारे प्यार की बंदिशों में सो गये हैं। तुम्हारी तारीफों के लिए शब्द कहाँ से लाऊँ?…
मुहब्बत ना रही - कविता - भागचन्द मीणा
सड़क ना रही वो गली ना रही। फिजाओं में वो खुशबू ना रही। जाइए ढूंढिए उस मुहब्बत को जो अब उस मुहल्ले में ना रही।। सपने बाकी है अब हकीक़त …
करवा चौथ का चाँद - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
आ गया करवा चौथ का चाँद बढ़ा रहा सुहागनों की मुस्कान। देख चेहरे की मधुर मधुर मुस्कान चाँद भी हो विभोर छुपता जा रहा। हो मस्त सृष्टि श्रृं…
कब ढले शाम अनज़ान समझ - गीत (मुक्तक) - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
जीवन की ढलती शाम समझ, पल पल अनुपम अलबेला है। सौगात तुम्हें दी है कुदरत, गाथा नव सत्पथ लिखना है। सोपान नया उत्थान समझ, न…
करवा चौथ - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
मैनें अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखा है, हाथों में मेंहदी, पैरों में महावर सुंदर परिधानों, आभूषणों से खुद को खूब सजाया है। …
लड़कपन - कविता - कर्मवीर सिरोवा
मोबाईल के जौबन को बचपन बेच दिया, मैदान खाली, बल्ला कहाँ हैं तुम भूल गए।। स्कूल से घर आते ही छत दौड़कर जाते थे, पतंग बनाना तो दूर, तुम उ…
ऐ! ज़िंदगी - नज़्म - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ! ज़िंदगी तेरे लिए हमने बहुत हैं दुःख सिंये। ऐ! आशिकी तेरे लिए आँख ने आँसू पिये। बे मुरब्बत ज़िंदगी तू रूठती मुझसे रही। बेरहम ये जख़्म स…
अधीर मत हो मन - कविता - डॉ. कुमार विनोद
गोधूली की बेला में मेरी उम्मीदें डरपोक सांझा चुल्हे की तरह अर्थहीन जिंदगी के अस्तित्व को समेटे मुक्ति की छटपटाहट से उपजे सवालों पर स…
ख़ुदा जब इम्तिहान लेता है - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
हाल बन्दों का जान लेता है, ख़ुदा जब इम्तिहान लेता है! ख़ौफ़ दुश्मनों का है शायद, मकां में वो अमान लेता है! चीखता है सन्नाटा शहर में, …
शब-ए-ग़म - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
मुझसे रूठकर तुम यूँ चले गये, मानो तन को जिंदा लाश बना गये। सारी तमन्नाएं मेरी दफ़न हो गयी, मेरी क़िस्मत शब-ए-ग़म बन गयी। दिल की धड़कनें मै…
माटी का घर - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
याद आता है माटी का वो घर जिसमें हमारा बचपन बीता। मोटी मोटी दीवारों वाला वो खपरैल का घर उसी माटी वाले घर में हम पले, बढ़े, खेले कूदे और…
हो बेटी निर्बाध - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
देखो कलियुग कालिमा, फैला है व्यभिचार। निशिदिन मरती बेटियाँ, लाचारी सरकार।।१।। लव ज़िहाद के नाम पर, परिवर्तन नित धर्म। फाँस रहे मासू…
आचार्य नरेन्द्र देव - जीवनी - अंकुर सिंह
सीतापुर के जाने माने वकील बलदेव प्रसाद के घर 31 अक्टूबर 1889 को बालक अविनाशी का जन्म हुआ जो आगे चलकर महान समाजवादी विचारक, शिक्षाशास्त…
पुनः धर्मयुद्ध - कविता - मनोज यादव
बस काल-काल में अंतर है, और समय में थोड़ा परिवर्तन है। नही तो द्युत सभा तो आज भी जारी, और सत्ता का भरपूर समर्थन है। धृतराष्ट्र लाख मिलें…
कब तक चलेगा खेल - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ऐ! चाँद आज न जाने क्यूँ निःशब्द सी हूँ। तुझे देखकर बस यूँ ही स्तब्ध सी हूँ। कभी उनका तो कभी खुद का एक अक्स सा तुझमें उभरता है। बस फिर…
ये छोड़ दो पष्चिमी सहारा - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
छोड़ दो ये पष्चिमी सहारा, हमे वतन ने आज पुकारा मानवता की ओर चलो, हिंदु मुस्लिम एक सारा। देश की आन को, सभ्यता की शान को, अपनी हर बान को,…
शब-ए-ग़म - कविता - पवन गोयल
तेरा हाथ क्या छूटा तेरा साथ भी छूट गया जो पाया था तेरे साथ से वो मक़ाम भी अब छूट गया।। इंसानियत पाई थी तेरे अक्ष से दो कदम चल पाई थ…
दिल के अल्फ़ाज़ - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"
दिल के अल्फ़ाज़ मोहब्ब्त के नाम मैं लिखता हूँ, बात ये है कि तिरे जज़्बात मैं समझता हूँ। आँखों में तिरी इक तस्वीर मैं रखता हूँ, राह-ए-इश्क़…
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